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- जल ही जीवन है.....जल बचाए जीवन बचाए.......
Posted by : achhiduniya
25 March 2015
जलसंरक्षण के उपायों और जमीन में स्थित पानी
के
दोहन की नीति.......
मित्रो प्रणाम......आपको तो पता ही है की किसी भी
वस्तु कि सेल पर लोग कैसे भागकर उसका फायदा उठाने के लिए उतावले हो जाते है लेकिन
मित्रो आज आपसे किसी वस्तु के सेल कि नही सूर्य देवता के शुरू हो चुके सीजन और सेल
कि बात करेंगे। गर्मी का मौसम शुरू होते ही सूर्य देवता अपने पूरी वस्तुओ और अपने
सेल्स मैन के साथ पसीना,धूप,शरीर की जलन,गला सुखना,चक्कर आना,शारीरक
कमजोरी,ऑखो ने जलन,कैल्शियम की कमी इत्यादि-इत्यादि
आफ़र लेकर आपके शहर- नगर-गाँव के तरफ बदते चले आ रहे है
आप क्या लेना पसंद करेंगे
सभी कुछ मुफ्त मे मिलेगा अगर आप इस आफ़र का लाभ उठाना चाहते है तो तुरंत तप्ती धूप
मे खड़े हो जाए और अगर ये सभी आफ़र आप नही चाहते तो सावधान हो जाइए क्यूकि.....? गर्मियों आती हैं पारा चढ़ने के बाद यह समस्या बढ़ने लगती है।
लोगों को
पीने के पानी के लिए तरसना पड़ता है। पानी की इस लगातार गंभीर होती समस्या की वजह
क्या है? इसकी मुख्य रूप से तीन वजहें हैं। पहला है आबादी का
लगातार बढ़ता दबाव इससे प्रति व्यक्ति साफ पानी की उपलब्धता घट रही है,फिलहाल देश में प्रति व्यक्ति 1000 घनमीटर पानी
उपलब्ध है जो वर्ष 1951 में 3-4 हजार
घनमीटर था। 1700 घनमीटर
प्रति व्यक्ति से कम उपलब्धता को संकट माना जाता है। अमेरिका में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति आठ हजार
घनमीटर है। इसके अलावा जो पानी उपलब्ध है उसकी क्वालिटी भी बेहद खराब है।
ग्रामीण
इलाकों की बात करें तो वहां 70 फीसदी लोग अब भी प्रदूषित
पानी पीने को ही मजबूर हैं। एक मोटे अनुमान के मुताबिक, पीने
के पानी की कमी के चलते देश में हर साल लगभग छह लोग पेट और संक्रमण की विभिन्न
बीमारियों की चपेट में आकर दम तोड़ देते हैं। नदियों का देश होने के बावजूद
ज्यादातर नदियों का पानी पीने लायक और कई जगह नहाने लायक तक नहीं है। गंगा को साफ
करने के लिए शुरू गंगा एक्शन प्लान के बावजूद ज्यादातर जगह यह नदी अब तक काफी
प्रदूषित है।
खेती पर निर्भर इस देश में किसान सिंचाई के लिए मनमाने तरीके से
भूगर्भीय पानी का दोहन करते हैं। इससे जलस्तर तेजी से घट रहा है।कुछ ऐसी ही हालत
शहरों में भी हैं जहां तेजी से बढ़ते कंक्रीट के जंगल जमीन के भीतर स्थित पानी के
भंडार पर दबाव बढ़ा रहे हैं। आईटी सिटी के विकसित होने वाले गुड़गांव में अदालत ने
पेय जल की गंभीर समस्या के चलते हाल में नए निर्माण पर तब तक रोक लगा दी थी जब तक
संबंधित कंपनी या व्यक्ति पानी के वैकल्पिक स्रोत और उसके संरक्षण का प्रमाण नहीं
देता।
विशेषज्ञों के मुताबिक, पानी की कमी की एक सबसे बड़ी
वजह यह है जल संरक्षण की दिशा में अब तक
कोई ठोस नीति का न होना। इसके चलते बारिश का 65 फीसदी बह कर
समुद्र में चला जाता है।
जलसंरक्षण के उपायों और जमीन में स्थित पानी के दोहन की
नीति बना कर इस समस्या पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।