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- किसकी सुनते है आप.....?अपनी या लोगो की........
Posted by : achhiduniya
31 March 2015
“हमे तो अपनो ने लूटा गैरो मे कहा दम था,मेरी
कश्ती [नाँव ] वहॉ डूबी जहॉ पानी कम था”........
मित्रो प्रणाम
.....आज के जीवन मे इतने उतार चड़ाव आते है जिससे व्यक्ति कभी –कभी हिम्मत हारने
लगता है,साथ ही ऐसी स्थितिया - परिस्थितिया
उत्पन्न हो जाती है की चारो तरफ अंधकार ही अंधकार दिखाई देने लगता है। गैर तो गैर
अपने भी हमारी हिम्मत को तोड़ने मे कोई कसर नही छोड़ते। एक कहावत है,”जब जहाज पानी मे डूबने लगता है तो सबसे पहले चूहे कूदकर भागने लगते है”।“ हमे
तो अपनो ने लूटा गैरो मे कहा दम था,मेरी कश्ती [नाँव ] वहॉ डूबी
जहॉ पानी कम था ”।
ऐसा ही वक्त कभी ना कभी हर इंसान के जीवन मे भी आता है जब उसे
मुसीबते घेर लेती है,वे किसी भी रूप मे हो सकती है बीमारी,बेरोजगारी,पैसो की तंगी [आर्थिक
संकट] नौकरी का अचानक छूट जाना। किसी प्रकार की दुर्घटना का शिकार होना जिससे जीवन
मे विकलांगता आना। ऐसी अनेकों बांते हो सकती है, जिससे आपकी हिम्मत
जवाब देती है लेकिन अगर आप इन पारिस्थतियों को संयम और सकारात्म नजरिए से देखने का
प्रयास करेंगे तो बिना किसी की मदद के आप इससे पार जा सकते है।
हम समझ सकते है की उन
पारिस्थतियों मे ऐसा करना मुश्किल होता है लेकिन मित्रो नामुमकिन नही होता। क्योकि
“लहरों से डरकर नौका पार नही होती कोशिश करने वालो की हार नही होती”। आपको एक कहानी
सुनाते है। एक बार की बात है। बहुत से मेंढक जंगल से जा रहे थे। वे सभी आपसी
बातचीत में कुछ ज्यादा ही व्यस्त थे।
तभी उनमें से दो मेंढक एक जगह एक पानी के गड्ढे
में गिर पड़े। बाकी मेंढकों ने देखा कि उनके दो साथी बहुत गहरे पानी के गड्ढे में
गिर गए हैं। पानी का गड्ढा गहरा था इसलिए बाकी साथियों को लगा कि अब उन दोनों का
गड्ढे से बाहर निकल पाना मुश्किल है। साथियों ने गड्ढे में गिरे उन दो मेंढकों को आवाज
लगाकर कहा कि अब तुम खुद को मरा हुआ मानो। इतने गहरे गड्ढे से बाहर निकल पाना
असंभव है। दोनों मेंढकों ने बात को अनसुना कर दिया और बाहर निकलने के लिए कूदने
लगे। बाहर झुंड में खड़े मेंढक उनसे चीख कर कहने लगे कि बाहर निकलने की कोशिश करना
बेकार है।
अब तुम बाहर नहीं आ पाओगे। थोड़ी देर तक
कूदा-फांदी करने के बाद भी जब पानी के गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाए तो एक मेंढक ने
आस छोड़ दी और पानी के गड्ढे में और नीचे की तरफ लुढ़क गया। नीचे लुढ़कते ही वह पानी मे
डूब कर मर गया। दूसरे मेंढक ने कोशिश जारी रखी और काफी प्रयास के बाद अंततः
पूरा जोर लगाकर एक छलांग लगाने के बाद वह पानी के गड्ढे से बाहर आ गया।
जैसे ही
दूसरा मेंढक गड्ढे से बाहर आया तो बाकी मेंढक साथियों ने उससे पूछा- जब हम तुम्हें
कह रहे थे कि गड्ढे से बाहर आना संभव नहीं है तो भी तुम छलांग मारते रहे, क्यों.....? इस पर उस मेंढक ने जवाब दिया- दरअसल
मैं थोड़ा-सा ऊंचा सुनता हूं और जब मैं छलांग लगा रहा था तो मुझे लगा कि आप मेरा
हौसला बढ़ा रहे हैं इसलिए मैंने कोशिश जारी रखी और देखिए मैं बाहर आ गया। यह कहानी
हमें कई बातें कहती है।
पहली यह कि हमें हमेशा दूसरों का हौसला बढ़ाने वाली बात ही
कहनी चाहिए। दूसरी यह कि जब हमें अपने आप पर भरोसा हो तो दूसरे क्या कह रहे हैं
इसकी कोई परवाह नहीं करनी चाहिए। यह तो महज एक कहानी है लेकिन दोस्तो हौसलों से उड़ान
होती है पंखो से नही।
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आपकी कोई मदद कर सकता है तो वो आप खुद
है.......
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