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- स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए भिखारियो ने खुद का बैंक बनाया......
Posted by : achhiduniya
01 April 2015
तबीयत बिगड़ी, तो पांच-दस हजार रुपए कहां से
आएंगे.....?
समय के साथ चलने,किसी से उधार न मांगने और अपने स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए
मां मंगलागौरी मंदिर के मेन गेट पर भीख मांग कर जीवन गुजार रहे भिखारियों
के दल ने पैसा जमा करने के लिए मां मंगला समिति ‘मंगला बैंक बनाया है। छह माह पहले गठित इस समिति (बैंक) में 40 सदस्य हैं। बैंक में मैनेजर, ट्रेजरर व सेकेट्री भी भिखारी बैंक में मैनेजर, ट्रेजरर व सेक्रेटरी सहित पांच भिखारी हैं।
ये मुख्य
रूप से इसे चला रहे हैं। हर मंगलवार को एक भिखारी 20 रुपए जमा करता
है। यानी एक मंगलवार को आठ सौ रुपए जमा होता है। गेट पर भीख मांगने वाले कुलेश्वर पासवान
को अब इस बात की चिंता नहीं है कि उसकी पत्नी या बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ी, तो पांच-दस हजार रुपए कहां से आएंगे।
श्रद्धालुओं
से रुपया-दो रुपए मांगने वाले अन्य भिखारियों को इतनी बड़ी रकम के लिए अब किसी के सामने
हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। ऐसे बुरे वक्त के लिए ही भिखारियों ने खुद ‘मंगला बैंक बनाया है। मैनेजर राजकुमार मांझी के जिम्मे लिखा-पढ़ी
का काम है। इनकी पत्नी नगीना देवी ट्रेजरर हैं। सचिव मालती देवी लोगों को बैंक से जोडऩे
का काम करती हैं।
हीरामति मुखिया हैं। चनारिक पासवान की भूमिका एजेंट की है, जो भिखारियों से हर मंगलवार को पैसा वसूलता है। इसी
माह बैंक के मैनेजर राजकुमार मांझी की बहन और बेटी खाना बनाने में झुलस गईं। आपात स्थिति
में मंगला बैंक से बिना लिखा-पढ़ी के उसे आठ हजार का लोन दे दिया गया।
इस पर उसे एक
माह तक कोई ब्याज नहीं लगेगा। लोन
जमा करे इसलिए एक माह के बाद 2 से 5 प्रतिशत तक ब्याज देना होगा। मूलधन नहीं देने की स्थिति में हर माह उसे ब्याज तो निश्चित देना है।