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- प्रथम पूज्य श्री गणेश जी ही क्यू........?
Posted by : achhiduniya
29 April 2015
“वक्र तुंड महाकाय सूर्य कोटी संपर्भ निर्विध्नम
कुरुमेदेव
सर्व कार्येषु सर्वदा”
भारतीय परंपरा में हर काम की शुरुआत में गणपति को
पहले मनाया जाता है। शिक्षा से लेकर नए वाहन तक, व्यापार से लेकर विवाह तक हर काम में पहले गणपति को ही आमंत्रित किया जाता
है। ऐसा कौन सा कारण है कि हम गणपति के बिना कोई काम नहीं कर सकते......? आखिर किस कारण से गणपति को पहले पूजा जाता है.....? गणपति
को पहले पूजे जाने के पीछे बड़ा ही दार्शनिक और इस बात के पीछे संदेश क्या है…….? दरअसल गणपति बुद्धि और विवेक के देवता है।
श्रीगणेश पूजा अपने आप में
बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है। चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या
फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या
फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो। जब कभी किसी व्यक्ति
को किसी अनिष्ट की आशंका हो या उसे शारीरिक या आर्थिक कष्ट उठाने पड़ रहे हो तो
ऐसे में उसे श्री गणेश की आराधना करने को कहा जाता है। श्री गणेश को सभी दुखों को
हरने वाला या दुखहर्ता माना गया है। श्री गणेश बुद्धि के देवता हैं। इसीलिए श्री
गणेश प्रथम पूज्य है यानि हर शुभ कार्य में गणेशजी की पूजा सबसे पहले की जाती है
क्योंकि उनके स्वरूप में अध्यात्म और जीवन के गहरे रहस्य छुपे हैं। जिनसे हम जीवन
प्रबंधन के सफल सूत्र हासिल कर सकते हैं।
इसी तरह श्री गणेश की छोटी आंखें मानव को
जीवन में सूक्ष्म दृष्टि रखने की प्रेरणा देती हैं। उनकी बड़ी नाक (सूंड) दूर तक
सूंघने में समर्थ है जो उनकी दूरदर्शिता को बताती है। जिसका अर्थ है कि उन्हें हर
बात का ज्ञान है। श्री गणेश के दो दांत हैं एक पूर्ण व दूसरा अपूर्ण। पूर्ण दांत
श्रद्धा का प्रतीक है तथा टूटा हुआ दांत बुद्धि का। शास्त्रों के अनुसार गणेश को
विघ्नहर्ता माना जाता है। इसीलिए शादी के कार्ड पर श्री गणेश का चित्र बनवाने की
परंपरा अस्तित्व में आई ताकि शादी जैसा बड़ा आयोजन श्री गणेश की कृपा से बिना किसी
विघ्न के सम्पन्न हो जाए।श्री गणेश का विघ्नकर्ता का रूप जगत के प्राणियों के
कार्य और व्यवहार को मर्यादा और सीमाओं में रखता है, तो
विघ्नहर्ता रूप कार्य के शुभ आरंभ और उसमें आने वाली बाधाओं को दूर कर निर्विघ्न
संपन्न करता है। किस कारण से गणपति को पहले पूजा जाता है।
बुद्धि से ही विवेक आता
है और जब दोनों साथ हों तो कोई भी काम किया जाए उसमें सफलता मिलना निश्चित है। हम
जब गणपति को पूजते हैं तो यह आशीर्वाद मांगते हैं कि हमारी बुद्धि स्वस्थ्य रहे और
हम सही वक्त पर सही निर्णय लेते रहे ताकि हमारा हर काम सफल हो।
इसके पीछे संदेश
यही है कि आप जब भी कोई काम शुरू करें अपनी बुद्धि को स्थिर रखें, इसलिए गणपति जी का चित्र भी कार्ड पर बनाया जाता है साथ ही गणेश जी को
विघ्रहर्ता भी कहा जाता है शादी जैसा बड़ा आयोजन बिना किसी विघ्र के सम्पन्न हो
जाए इसलिए सबसे पहले श्री गणेश को पीला चावल और लड्डू का भोग अर्पित कर पूरा परिवार
एकत्रित होकर उनसे शादी में पधारने के लिए प्रार्थना करता है ताकि शादी में सभी
गजानन की कृपा से खुश रहें।