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- कैसे चलता है.......? क्रिकेट के सट्टे का गोरख धंधा......
Posted by : achhiduniya
15 April 2015
कैसे लगाया जाता है सट्टा ......?
आए दिन क्रिकेट मैचो के
बुक्की पकड़े जाते है लेकिन फिर भी मैच फिक्सिंग के मामले खत्म नही होते क्या है....?इसकी वजह जो चंद रुपयो की खातिर खेल प्रेमियो की भावनाओ से खिलवाड़ किया
जाता है। कभी –कभी तो इस खेल को देश की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जाता है। क्रिकेट
के सट्टे का गोरख धंधा कैसे…..?चलता है आइए इस बात को जानने
का प्रयास करते है।
सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है। सट्टे पर
पैसे लगाने वाले को फंटर कहते हैं। जो पैसे का हिसाब किताब रखता है,उसे बुकी कहा जाता है। सट्टा
लगाने वाले फंटर 2 शब्द
खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं। यानी किसी टीम को फेवरिट माना जाता है तो उस
पर लगे दांव को लगाना कहते हैं ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना
कहते हैं। इस खेल में डिब्बा अहम भूमिका निभाता है। डिब्बा मोबाइल का वह कनेक्शन
है,जो
मुख्य सटोरियों से फंटर को कनेक्शन देते हैं।
जिस पर हर बॉल का रेट बताया जाता है।
पूरे आईपीएल के दौरान डिब्बे का कनेक्शन ढाई से 3 हजार में मिलता है। डिब्बे का
कनेक्शन एक खास नंबर होता है , जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है।
सट्टा आईपीएल मैच में 2 सेशन
में लगता है। दोनों सेशन 10-10 ओवर के होते हैं।‘सेशन एक पैसे का है, ‘मैने चव्वनी खा ली है ‘डिब्बे की आवाज कितनी है ‘तेरे पास कितने लाइन है, ‘आज फेवरिट कौन है, ‘लाइन को लंबी पारी चाहिए.
कहने को ये सिर्फ चंद ऊटपंटाग अल्फाज़ लगे, लेकिन इनके बोलने में करोड़ों
का लेनदेन हो रहा है।
डिब्बे पर अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर डिब्बा उसका रेट 80- 83
आता है
तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाओगे तो 1 लाख रुपये मिलेंगे और दूसरी
टीम पर 83 लगाओगे तो 1 लाख
रुपये मिलेंगे। सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है। सट्टे पर पैसे
लगाने वाले को फंटर कहते हैं। जो पैसे का हिसाब किताब रखता है , उसे बुकी कहा जाता है। सट्टा
लगाने वाले फंटर 2 शब्द
खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं।
यानी किसी टीम को फेवरिट माना जाता है तो उस
पर लगे दांव को लगाना कहते हैं ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना
कहते हैं। इस खेल में डिब्बा अहम भूमिका निभाता है। डिब्बा मोबाइल का वह कनेक्शन
है , जो मुख्य
सटोरियों से फंटर को कनेक्शन देते हैं। जिस पर हर बॉल का रेट बताया जाता है। पूरे
आईपीएल के दौरान डिब्बे का कनेक्शन ढाई से 3 हजार में मिलता है। डिब्बे का
कनेक्शन एक खास नंबर होता है , जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है।
सट्टा आईपीएल मैच में 2 सेशन
में लगता है। दोनों सेशन 10-10 ओवर के होते हैं। बात हो रही है आईपीएल पर
सट्टे बाजार की। पूरे मुल्क में इन दिनों करोड़ों का सट्टा लग रहा है। हाल में पकड़े गए शख्स नितिन
से पुलिस पूछताछ में इसका खुलासा हुआ। जऱाए के मुताबिक सट्टे के खेल में स्टूडेंट्स
को ज्यादा शामिल किया जा रहा है। .jpg)
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क्रिकेट के सट्टे का बड़ा गढ़ बन चुके अपने शहर
में आईपीएल की खव्वाली चरम पर है। आईपीएल के लिए इस बार एक या दो नहीं, बल्कि चार दर्जन ठिकानों पर
बुकी दांव लगवा रहे हैं। मैच शुरू होने से पहले ही सभी 8 टीमों के रेट जारी कर दिए गए।
साथ ही टॉप टू प्लेयर भी घोषित किए गए हैं। हालांकि अभी सीरीज की शुरुआत है, इसलिए इन भावों में बदलाव
होना लाजमी है। इस बार सट्टे के प्रति लोगों में क्रेज ज्यादा दिखाई दे रहा है।
अभी भावों में उतार-चढ़ाव आता रहेगा।
इस बार महानगर में सबसे ज्यादा पचास के करीब
ऐसे ठिकाने हैं, जहां
से क्रिकेट का सट्टा लगवाया जा रहा है। इस खेल की ज़ुज़ान भी अजीबो
गरीब है। सट्टा लगाने वाले शख्स को लाइन कहा जाता है, जो एजेंट यानी पंटर के ज़रिये
से बुकी (डिब्बे) तक राबिता करता है। एजेंट को एडवांस देकर अकाउंट खुलवाना पड़ता
है, जिसकी
एक लिमिट होती है। सट्टे के भाव को डिब्बे की आवाज बोला जाता है। आईपीएल क्रिकेट में सट्टेबाज 20 ओवर को लंबी पारी, दस ओवर को सेशन और छह ओवर तक
सट्टा लगाने को छोटी पारी खेलना कहते हैं।
मैच की पहली गेंद से लेकर टीम
के जीत तक भाव चढ़ते उतरते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता
है।जीत तक भाव चढ़ते उतरते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है।
अगर किसी ने दांव लगा दिया और वह कम करना चाहता है तो फोन कर एजेंट को ‘मैंने चवन्नी खा ली कहना होता
है।
खास बात यह है कि यह पूरा नेटवर्क जदीद मुवसलाती निज़ाम लैपटॉप, मोबाइल, वाइस रिकार्डर वगैरह पर ही चल
रहा है। एहतियात इतनी बरती जाती है कि एक बार कोई मोबाइल नंबर यूज हो गया तो उसे
दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता। [T.N.साभार ]
Bhai bhav kon tay karta hai betting ka
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