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- चले बचपन की “कामिक्स” दुनिया मे......”अच्छी दुनिया” के संग...
Posted by : achhiduniya
11 April 2015
एक बार फिर से चाचा चौधरी जैसे बुद्धिमान,साबू जैसे बलवान
बन जाए ......
मित्रो प्रणाम......शायद
ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने चाचा चौधरी-साबू ,पिंकी,मोटू – पतलू,बिल्लू,चंपक चाचा,विक्रम बेताल,तेनाली रमन,फैन्टम,सुपर मैन,स्पाइडर मैन,इस प्रकार के अनेक कामिक्स नाम के चरित्र
बचपन मे मन को बहुत गुदगुदाते और उमंग –उत्साह से भर देते थे।
हर कोई अपने बचपन मे
इनसे जुड़ा इनके नाम को न सुना हो,बल्कि वह इनके चरित्रों के द्वारा
अपने आप को इनके जैसा महसूस भी करता था। हा कुछ लोगो को जासूसी किताबे जैसे:-करमचंद,दफा 302 और फिल्मी जैसे: मायापुरी,फिल्मसिटी इत्यादी
पुस्तके पड़ने का शौक होता था।
लेकिन आपने बचपन मे कभी सोचा होगा की बड़े होकर हम चाचा
चौधरी जैसे बुद्धिमान,साबू जैसे बलवान और पिंकी और बिल्लू जैसे
शरारती और विक्रम बेताल के जैसे बल शाली बनकर सारी सस्याओ का समाधान चुटकी बजाते ही
कर लेंगे।
लेकिन बड़े होते ही ये सारे सपने मानो बचपन की अंधेरी रात मे कही खो से गए
फिर भी बड़े होकर हम यह सब कर सकते है कैसे.......? अपने परिवार, समाज,प्रदेश,और देश के प्रती लोगो
मे सकारात्मक, उमंग – उत्साह जगाकर अपने बच्चो को अच्छे संस्कार
देकर उन्हे सच्चाई,समर्पण,सेवा भाव,सहयोगीता,एकता,निर्भयता इन सभी
बातो के ज्ञान का पाठ उन्हे बचपन से ही पड़ाकर कर सकते है।
आइए आप और हम विक्रम की बेताल
दवारा ली गई बुद्धि बल परिचय की कहानी का श्रवण करेंगे। मदनपुर नगर में वीरवर नाम
का राजा राज करता था। उसके राज्य में एक वैश्य था, जिसका नाम हिरण्यदत्त था। उसके मदनसेना नाम की एक कन्या थी। एक
दिन मदनसेना अपनी सखियों के साथ बाग़ में गयी।
वहाँ संयोग से सोमदत्त नामक सेठ का
लड़का धर्मदत्त अपने मित्र के साथ आया हुआ था। वह मदनसेना को देखते ही उससे प्रेम
करने लगा। घर लौटकर वह सारी रात उसके लिए बैचेन रहा। अगले दिन वह फिर बाग़ में
गया। मदनसेना वहाँ अकेली बैठी थी। उसके पास जाकर उसने कहा,
“तुम
मुझसे प्यार नहीं करोगी तो मैं प्राण दे दूँगा। मदनसेना ने जवाब दिया, आज से पाँचवे दिन मेरी शादी होनेवाली है।
मैं तुम्हारी नहीं हो सकती। वह बोला, मैं तुम्हारे बिना जीवित नहीं रह सकता। मदनसेना डर गयी। बोली, अच्छी बात है। मेरा ब्याह हो जाने दो। मैं
अपने पति के पास जाने से पहले तुमसे ज़रूर मिलूँगी। वचन देके मदनसेना डर गयी। उसका
विवाह हो गया और वह जब अपने पति के पास गयी तो उदास होकर बोली, आप मुझ पर विश्वास करें और मुझे अभय दान दें
तो एक बात कहूँ।
पति ने विश्वास
दिलाया तो उसने सारी बात कह सुनायी। सुनकर पति ने सोचा कि यह बिना जाये मानेगी तो
है नहीं, रोकना बेकार है। उसने जाने
की आज्ञा दे दी। मदनसेना अच्छे-अच्छे कपड़े और गहने पहन कर चली। रास्ते में उसे एक
चोर मिला। उसने उसका आँचल पकड़ लिया। मदनसेना ने कहा, तुम मुझे छोड़ दो। मेरे गहने लेना चाहते हो तो लो। चोर बोला, मैं तो तुम्हें चाहता हूँ। मदनसेना ने उसे सारा हाल कहा, पहले मैं वहां हो आऊं, तब तुम्हारे पास आऊँगी। चोर
ने उसे छोड़ दिया।
मदनसेना धर्मदत्त के पास
पहुँची। उसे देखकर वह बड़ा खुश हुआ और उसने पूछा,
“तुम
अपने पति से बचकर कैसे......? आयी हो।
मदनसेना
ने सारी बात सच-सच कह दी। धर्मदत्त पर उसका बड़ा गहरा असर पड़ा। उसने उसे छोड़
दिया। फिर वह चोर के पास आयी। चोर सब कुछ जानकर ब़ड़ा प्रभावित हुआ और वह उसे घर
पर छोड़ गया। इस प्रकार मदनसेना सबसे बचकर पति के पास आ गयी। पति ने सारा हाल कह
सुना तो बहुत प्रसन्न हुआ और उसके साथ आनन्द से रहने लगा। इतना कहकर बेताल बोला, हे राजा! बताओ पति, धर्मदत्त और चोर, इनमें से कौन.....? अधिक त्यागी है।
राजा
ने कहा, चोर। मदनसेना का पति तो
उसे दूसरे आदमी पर रुझान होने से त्याग देता है। धर्मदत्त उसे इसलिए छोड़ता है कि
उसका मन बदल गया था, फिर उसे यह डर भी रहा होगा कि कहीं उसका पति उसे राजा से कहकर
दण्ड न दिलवा दे। लेकिन चोर का किसी को पता न था, फिर भी उसने उसे छोड़ दिया। इसलिए वह उन दोनों से अधिक त्यागी
था।
राजा का यह जवाब सुनकर
बेताल फिर पेड़ पर जा लटका और राजा जब उसे लेकर चला तो उसने यह कथा सुनायी। बेशक आज
के समय मे कामिक्स की जगह वीडियो गेम और इंटरनेट ले ली है फिर भी आप अपने बच्चो को
अच्छे और बुरे मे फर्क आसानी से समझा सकते है। उन्हे संस्कारी [अच्छा ] या दुराचारी
[ बुरा ] बनाना आपके हाथ मे है। आपका मित्र
अनिल भवानी।