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- पैसा भगवान नही लेकिन भगवान से कम नही...जाने इस भगवान के इतिहास की जानकारी.......
Posted by : achhiduniya
08 April 2015
मोहरो और अश्रफ़ियों से होते हुए दीनारों से
कौड़ियो......
आज के जीवन मे पैसा कितना उपयोगी है यह बताना या
समझाना इतना जरूरी नही जितना इसके बारे मे जानना। देश हो या विदेश उसकी
अर्थव्यवस्था नोट, करन्सी, डालर,दिनार इत्यादी नामो से जानी जाती है.
भारत मे इस प्रकार की व्यवस्था को
रूपय या नोटो और सिक्को के रूप मे जाना पहचाना जाता है,जिससे राष्ट्र के हित मे व्यापार क्षेत्र के साथ व्यवसाइक
क्षेत्र मे इस्तेमाल किया जाता है।
इतिहास के पन्नो को अगर पलटा जाय तो यह कहना
मुश्किल है की इसकी शुरुवात कहा से हुई क्योकि राजा महाराजाओ के समय हीरे,मोती,मोहरो और अश्रफ़ियों से राष्ट्र व समाज के हित
मे व्यापार क्षेत्र के साथ व्यवसाइक क्षेत्र मे इस्तेमाल किया जाता था।
कही –कही
यह भी प्रमाण मिलते है की लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक दूसरे से
वस्तुओ का आदान –प्रदान करते थे जैसे किसान धान के बदले वस्त्र लेकर धान देता था।
इस प्रकार जिसके पास जो वस्तु होती दूसरे को वह देकर अपनी जरूरत की चीजे लेने का
काम करते थे। समय ने करवट बदली जिसके साथ इनका [पैसे] का स्वरूप बदलता गया।हीरे,मोती,मोहरो
और आश्रफ़ियों से होते हुए दीनारों से कौड़ियो से होते हुए आनो जैसे एक आना दो आना
फिर पैसे मे एक पैसा दो पैसा इस प्रकार आज उसने रुपयो [नोटो] व सिक्को का रूप ले
लिया है।
भारत देश मे करंसी छापने की शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुई। सबसे
पहले बैंक ऑफ बंगाल, बैंक
ऑफ बॉम्बे और बैंक ऑफ मद्रास जैसे बैंकों ने पेपर करंसी छापी थी। पेपर करंसी एक्ट 1861 के बाद करंसी छापने का पूरा
अधिकार भारत सरकार को दे दिया गया। 1935 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की
स्थापना तक भारत सरकार करंसी छापती रही, जिसके बाद रिजर्व बैंक ने यह
जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली। 1938 में 10,000
रुपए
का नोट भी छापा गया था। रिजर्व बैंक ने जनवरी 1938 में पहली पेपर करंसी छापी थी, जो 5 रुपए का नोट था।
इसी साल 10 रुपए, 100 रुपए, 1,000
रुपए
और 10,000 रुपए के नोट भी छापे गए। हालांकि, 1946 में 1,000 और 10,000
हजार
के नोट बंद कर दिए गए। 1954 में एक बार फिर से 1,000 और 10,000
रुपए
के नोट छापे गए। इस बार 5,000 रुपए के नोट भी छापे गए। हालांकि, 1978 में इसे बंद कर दिया गया।
मौजूदा
समय में रिजर्व बैंक 10 रुपए, 100 रुपए, 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट छाप सकता है। हाल ही में 1 रुपए के नोट की भी छपाई शुरू
हुई है। इससे पहले 1 रुपए, 2 रुपए और 5 रुपए के नोटों की छपाई बंद कर
दी गई थी, क्योंकि
इनके लिए सिक्कों को बाजार में उतारा गया था।
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक के पास
अभी भी 10,000 रुपए के नोट छापने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए रिजर्व बैंक
ऑफ इंडिया एक्ट 1934 में थोड़े संशोधन करने होंगे। रिजर्व बैंक के अनुसार, भारत हर साल 2,000 करोड़ करेंसी नोट छापता है।
इसकी 40 प्रतिशत लागत कागज और स्याही के आयात में जाती है। ये कागज जर्मनी, जापान और ब्रिटेन जैसे देशों
से आयात किया जाता है। जल्द ही देश में तैयार कागज पर ही नोट छपेंगे।