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- हनुमानजी को सिंदूर क्यों....?चढ़ाया जाता है......जयंती विशेष....
Posted by : achhiduniya
03 April 2015
महावीर विक्रम बजरंगबली......कोटी
कोटी नमन....
हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर
सशरीर मौजूद हैं। किसी भी व्यक्ति को जीवन
में श्री राम की कृपा के बिना कोई भी सुख-सुविधा
प्राप्त नहीं हो सकती है। श्रीराम
की कृपा प्राप्ति के लिए हमें हनुमानजी को
प्रसन्न करना चाहिए। उनकी आज्ञा के
बिना कोई भी श्रीराम तक पहुंच नहीं सकता।
हनुमानजी की शरण में जाने से सभी
सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। हनुमान इस कलियुग
में सबसे ज्यादा जाग्रत और
साक्षात हैं। कलियुग में हनुमानजी की भक्ति ही लोगों को
दुख और संकट से बचाने
में सक्षम है। बहुत से लोग किसी बाबा, देवी-देवता, ज्योतिष और
तांत्रिकों के चक्कर
में भटकते रहते हैं और अंतत: वे अपना जीवन नष्ट ही कर लेते
हैं। क्योंकि वे
हनुमान की भक्ति-शक्ति को नहीं पहचानते। ऐसे भटके हुए लोगों का
राम ही भला
करे। हनुमानजी चार कारणों से सभी
देवताओं में श्रेष्ठ हैं। पहला यह कि वे रीयल
सुपरमैन हैं, दूसरा
यह कि वे पॉवरफुल होने के बावजूद ईश्वर के प्रति समर्पित हैं,
तीसरा यह कि वे अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं और चौथा यह कि वे
आज भी सशरीर हैं। इस ब्रह्मांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति है तो वह है
हनुमानजी। महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति
ठहर
नहीं सकती। जब हनुमानजी हमारे रक्षक हैं तो हमें किसी भी अन्य देवी, देवता,
बाबा, साधु, ज्योतिष आदि की बातों में भटकने की जरूरत नहीं। श्रीराम भक्त
हनुमानजी को
प्रसन्न करने के लिए रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
इसके अलावा मंगलवार
और शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। हनुमानजी
बल, बुद्धि, विद्या
और पराक्रम के देवता हैं। वे जिस पर प्रसन्न हो जाते हैं, उसके लिए
सफलता के द्वार खुल जाते हैं। हनुमानजी की कई बातों का गूढ़ रहस्य है और जब
उन पर
मनन किया जाए तो उसका वैज्ञानिक आधार भी मिलता है। क्या आप जानते
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हैं कि हनुमानजी को सिंदूर क्यों....?चढ़ाया जाता है। इसके पीछे भी एक रोचक कथा
है जो भगवान राम के
राज्याभिषेक के बाद की है। एक बार जब हनुमानजी को भूख
लगी तो वे भोजन के लिए सीताजी के पास गए। सीताजी
की मांग में सिंदूर लगा
देखकर वे चकित हुए और उनसे पूछा, मां, आपने ये
क्या....?लगाया है। तब सीताजी
ने उनसे कहा, यह
सिंदूर है, जो सौभाग्यवती महिलाएं अपने स्वामी की लंबी उम्र,
प्रसन्नता
और कुशलता के लिए लगाती हैं। यह जानकर हनुमानजी ने मन में सोचा
कि अगर चुटकी भर
सिंदूर लगाने से स्वामी की प्रसन्नता प्राप्त होती है और उनकी
आयु लंबी होती है तो
पूरे शरीर में सिंदूर लगाने से तो वे अमर हो जाएंगे, सदा
प्रसन्न रहेंगे। उन्होंने पूरे बदन पर सिंदूर लगा लिया और भगवान श्रीराम की सभा
में
गए। हनुमान का यह रूप देखकर सभी सभासद हंसने लगे। भगवान श्रीराम भी स्वयं
के प्रति उनके प्रेम को देखकर अत्यंत
प्रसन्न हुए। उन्होंने हनुमानजी को यह वरदान
दिया कि जो भी मनुष्य मंगलवार और शनिवार को उन्हें घी के साथ सिंदूर अर्पित
करेगा, उस पर
स्वयं श्रीराम भी कृपा करेंगे और उसके बिगड़े काम बन जाएंगे।
उक्त कथा में एक वैज्ञानिक रहस्य भी छिपा है।
विज्ञान कहता है कि हर रंग में एक
विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है। चूंकि हनुमानजी
महाबलशाली और महापराक्रमी हैं,
इसलिए उन्हें वही पदार्थ अर्पित किए जाते हैं जो
ऊर्जा और पराक्रम से संबंधित
हों। सिंदूर ऊर्जा का प्रतीक है और जब हनुमानजी को
अर्पित करने के बाद भक्त
इससे तिलक करता है तो दोनों आंखों के बीच स्थित ऊर्जा केंद्र
सक्रिय हो जाता है।
इससे मन में अच्छे विचार आते हैं और परमात्मा की ऊर्जा प्राप्त
होती है। हनुमानजी
को घृत मिश्रित सिंदूर चढ़ाने से बाधाओं का निवारण होता है।