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- आज के डॉक्टर देव [भगवान] या दानव [व्यापारी-शैतान] .......?
Posted by : achhiduniya
26 May 2015
पिछले कई सालो से यह बात आम हो चुकी है,कि किसी मरीज को वक्त पर सही इलाज ना मिलने के कारण म्रत्यु का ग्रास बनना
पड़ा। आपने मुन्ना भाई फिल्म देखी होगी जिसमे हॉस्पिटल मे मरीज के इलाज के पहले
रिश्तेदारों को फार्म भरने कि प्रकिया से गुजारा पड़ता है,जिससे
मरीज की हालत और भी बत्तर हो जाती है। यह तो एक फिल्म थी। किन्तु हकीकत मे हालत
इससे भी बद से बत्तर है,अगर किसी के साथ दुर्घटना हो जाए तो
उसे फार्म के साथ पुलिस प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ता है।
इस कारण लोग सड़क पर किसी
भी दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की मदद के लिए आगे नही आते यह कहकर टाल देते है कि कौन
पड़े इनके झंझट मे,जिसके चलते मरीज की हालत खराब होने के कारण
म्रत्यु का ग्रास बनना पड़ता है। उसकी मौत का जिम्मेदार कौन.....? क्या....? उस हॉस्पिटल- पुलिस पर मर्डर का केस चलाना
चाहिए। बात यही तक रहे तो समाधान किया जा सकता है। लेकिन मरीज को हॉस्पिटल मे
भर्ती करने के बाद उसके अंगो कि चोरी होतो उसका जिम्मेदार कौन....?
उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले पवन कुमार पिछले साल अपनी बेटी
के इलाज के लिए एम्स गए थे। उनकी बेटी की “बांयीं” किडनी
में कुछ परेशानी थी। एम्स की पिछले साल आठ दिसंबर की पहली जांच रिपोर्ट के अनुसार
बच्ची की “दांयीं” किडनी सही हालत में थी। कुमार ने कहा कि मामले को देख रहे बाल
रोग विभाग के एक वरिष्ठ सर्जन ने परिवार से कहा कि किडनी निकालनी होगी। डॉक्टर ने 14 मार्च को सर्जरी
की जिस दौरान रोगी की एक किडनी निकाल ली गयी।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दिन बाद
बच्ची को काफी दर्द की शिकायत हुई। एक सीटी स्कैन कराया गया और जांच रिपोर्ट में
कोई किडनी नहीं दिखाई दी। पिता ने कहा, मैंने तब डॉक्टर से पूछा जिन्होंने
मेरे सवाल का सही से जवाब नहीं दिया। मैंने एम्स प्रशासन से बात करने की कोशिश की
जिसमें सफलता नहीं मिलने पर हौज खास पुलिस से संपर्क साधा। पिता के अनुसार उनकी
बेटी पिछले साल 14 मार्च से डायलिसिस पर है और एम्स में भर्ती है। छह साल
की एक बच्ची के पिता ने हौज खास पुलिस से संपर्क कर आरोप लगाया कि एम्स के एक
डॉक्टर ने उसकी बेटी की सर्जरी के दौरान दोनों किडनी निकाल ली हैं।
एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने मामले में जांच
के लिए और मुद्दों के स्पष्टीकरण के लिए वरिष्ठ प्रोफेसरों की एक उच्चाधिकार
प्राप्त समिति बनाई, उन्होंने कहा, समिति की बैठक 20 मई को हुई थी और
इस हफ्ते फिर से बैठक होगी और फिर एम्स प्रशासन को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। अब आप ही अंदाज लगा सकते है कि किस प्रकार मरीजो
कि मजबूरी का गलत फायदा निजी व सरकारी अस्पताल लेते है।
पैसे के साथ उनके अंगो को
भी चालाकी से लूट लिया जाता है। इसलिए सावधानी और सजगता के साथ मरीज का इलाज कराए,अनाड़ी और झोला छाप डॉक्टरों से परहेज
करे। एक ही रिपोर्ट को दो-तीन डॉक्टरों कि सलाह के बाद ही किसी नतीजे तक पहुचे। [जनहित
मे जानकारी]