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- कितनी सुरक्षित है महिलाऍ........? बहुत जरूरी बात......
Posted by : achhiduniya
04 May 2015
महिलाओ की सुरक्षा के आसान उपाय........
महिलाऍ जहा आज पुरुष के कंधे से कंधा मिलकर यानी उनके बराबरी के वे सारे काम कर रही है,जिसे कुछ समय पहले यह मान लिया जाता था कि इसे पुरुषो के अलावा और कोई नही कर सकता है। आज उन कामो को भी महिलाओ ने करके पुरुषो को दाँतो तले उंगलिया दबाने पर मजबूर कर दिया। समाज कि दकीया नूसी सोच कहे या सरकार और नेताओ कि निष्क्रियता जो महिलाओ कि सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हो या कोख मे पल रही मासूम कि हत्या और उन महिलों कि काबिलियत पर हो रही अनदेखी कि चर्चा अपने आप मे एक बड़ा गंभीर विषय जरूर है।
जहा एक तरफ महिलाए भारतीय रेल का चक्का दौड़ाने में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। फौलादी रेल पटरियों की मरम्मत, टिकट चेकिंग, मालगाड़ी का गार्ड, स्टेशन मास्टर और गेटमैन जैसे जो कार्य पहले रेलवे में सिर्फ पुरुषों के ही बस के माने जाते थे, अब महिलाएं भी इन कठिन श्रमसाध्य कार्यों को सफलतापूर्वक कर रही हैं। महिलाओं का मानना है कि हौसला हो तो कोई भी कार्य किया जा सकता है। अब ये जरूरी नहीं कि जिन क्षेत्रों मे केवल पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था, महिलाऍ उनमें आगे नहीं आ सकतीं। महिलाओं ने कठिन और दु:साध्य समझे जाने वाले तकनीकी कार्य, कड़े श्रम से जुडे कार्य, यात्रियों को संभालने से लेकर गार्ड और स्टेशन मास्टर तक की जिम्मेदारियों को सहजता से निभाया है। चाँद पर भी महिलाओ मे परचम लहराया है आपने सुना है सुनीता चावला।
देश कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री रही स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी देश कि भूतपूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल। क्या .....? ये सभी महिलाऍ नही थी। फिर आज इनको अपने वर्चस्व कि लड़ाई मे कौन साथ देगा। आए दिन गाँव,महा नगरो,शहरो मे महिलाओ के साथ हो रही बदसलूकी का जिम्मेदार कौन.....? हाल की घटना निर्भया कांड जिसने देश को पूरी तरह से हिला दिया था। आज भी कही न कही हर रोज सुबह एक निर्भया जन्म लेती है और शाम होते ही दरिंदों का शिकार होकर मार दी जाती है,उस पर नेताओ के अनाप –शनाप बयान जो आग मे धी डालने का काम करते है।कुछ दिन पहले दिल्ली के मोगा मे बस से एक लड़की और उसकी माँ को बाहर फेका गया जिस पर मोगा के जिला प्रशासन ने कहा कि उस बस कंपनी के प्रोपरायटरों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। मोगा के उपायुक्त परमिंदर सिंह गिल ने कहा अगर किसी व्यक्ति को अपराध के बारे में जानकारी नहीं है तो उसके खिलाफ मामला कैसे दर्ज किया जा सकता है।
यह कानूनी तौर पर संभव भी नहीं है। बस के चालक और परिचालक ने जब पीड़ित को छेड़ा था तब उसकी मां भी उसके साथ थी। मां बेटी के विरोध करने पर उन्हें चलती बस से धक्का दे दिया गया था। प्रशासन ने हालांकि कहा कि वह लड़की के परिवार वालों को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने तथा उसकी मां को सरकारी नौकरी मुहैया कराने के लिए तैयार है। क्या.....? मुआवजा देने और परिवार के सदस्य को नौकरी देने भर से इस प्रकार की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है,इससे तो अपराधियो के हौसले और बुलंद होते जा रहे है। जरूरत है हमे अपने घर की हर स्त्री चाहे वह बच्ची हो,बड़ी हो उसे अपनी सुरक्षा के बारे पूरी तरह से तैयार करने की चाहे उसके लिए उसे अस्त्र-शस्त्र विद्या हो,जुरो कराटे हो,मार्शल आर्ट हो या फिर कुंफ़ून कराटे इन सभी की उसे बचपन से ही प्रशिक्षण देने की जरूरत है।
साथ ही जब भी कोई महिला घर से निकले अपने साथ तेज धार वाला चाकू और तेज लाल मिर्ची के पाकेट जरूर लेकर निकले ताकी मनचलो और गुंडो से घिरने पर उनकी ऑखो मे झोक कर वहा से सुरक्षित भाग सके तथा कुछ दूर भागने के बाद अपने सगे संबधियों को जानकारी दे और आस पास के लोगो को मदद के लिए बुलाने का प्रयास करे। कुछ सरल कानूनी जानकारी के लिए आप हमारे [JUDICIARIES] काल्म से प्राप्त कर सकते है। अपनी सुरक्षा अपने हाथ........यही है बहुत जरूरी बात। आपका मित्र अनिल भवानी।