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- "माँ कैसी होती है".........
Posted by : achhiduniya
01 May 2015
सिर्फ एक बार इसे पड़ कर जानने कि कोशिश जरूर
करे.........
मित्रो प्रणाम.....आपके तीन सौ सेकंड यानी सिर्फ पाँच
मिंट चाहिए। एक
माँ जिसका एक लड़का था, पिताजी
गुजर चुके थे। माँ घरो में बर्तन मांज कर बेटे को अपना पेट काटकर एक अच्छे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाती थी। एक दिन स्कूल में किसी बच्चे ने उसके लड़के के आँख में पेंसिल मार दी लड़के की आँख चली गई ।
डॉक्टर ने कहा ये आँख नहीं बचेगी दूसरी लगेगी ,तो माँ ने अपने कलेजे के टुकड़े के लिए अपनी एक आँख दे दी ,अब माँ
देखने में भी अच्छी नहीं लग रही थी। बेटा उसको स्कूल आने से मना करता था, क्योंकि वो देखने में अच्छी और पढ़ी लिखी नहीं थी।
ऊपर से एक आँख भी नहीं रही, उसे अपनी माँ पर शर्म आती थी। कभी लंच बॉक्स देने आती भी थी तो मुह छुपा कर और अपने को नौकरानी बताती थी। अपने बच्चे की ख्वाइश पूरी करने को वो दिन रात काम करती लेकिन बेटे को कमी महसूस नहीं होने देती ।बेटा जवान हुआ एक सरकारी अधिकारी बना समय सिर लव मैरिज की, अपनी माँ को भी नहीं बुलाया ,और अलग घर ले बीबी के साथ रहने लगा।
माँ बूढी हो रही थी बीमार भी रहने लगी ,लेकिन लड़का अपनी पत्नी और हाई सोसाइटी में व्यस्त रहने लगा उसे माँ की याद भी नहीं आती थी। माँ बीमार रहती लेकिन दिन रात अपने पुत्र की सम्रद्धि और उन्नति के लिए भगवान् से दुआ मांगती रहती कुछ पडोसी माँ का ख्याल रखते।एक बार वो बहुत बीमार पड़ी तो उसने अपने बेटे को देखने की इच्छा जाहिर की लोग लड़के को बुलाने गए। लड़का अपनी बीबी के साथ कहीं टूर पे घुमने जा रहा था वो नहीं आया उसने कुछ पैसे इलाज़ के लिए भेज दिए ,लेकिन माँ का इलाज़ तो उसका बेटा था।
जिसको मरने से पहले देखना चाहती थी उसे प्यार देना चाहती थी, वो फिर भी बेटे का इन्तजार करती रही ,उसके कलेजे का टुकड़ा उसके आशाओं के टुकड़े कर रहा था ,वो आया लेकिन तब तक माँ मर चुकी थी। उसके हाथ में एक फोटो था लड़के का वही बचपन की स्कूल ड्रेस बाला फोटो धुंधला गन्दा सा जिसे हर वक्त सीने से लगाये रहती थी। आज भी सीने से लगाये थी ,लेकिन मरते दम तक वो अपने कलेजे के टुकड़े को कलेजे से न लगा सकी।
दिन बीते वक्त बदला लड़के का कार से एक्सिडेंट हुआ इस एक्सिडेंट में उसकी दोनों आँख चली गई चेहरे पर चोट लगने से कुरूप लगने लगा दोनों पैर बेकार हो गए चलने में लाचार हो गया ,पत्नी अमीर घर की लड़की थी ।लड़की दिनों दिन पति से दूर होने लगी क्योंकि पति अब कुरूप और विकलांग था । एक दिन वो पति को छोड़ कर चली गई । तब बेटे को माँ की याद आयी कि कैसे....? उसने अपने बेटे के लिए अपनी एक आँख दे दी जीवन के आखरी समय तक वो उसकी फोटो को सीने से लगाये रही,और वो अपनी माँ को पत्नी और हाई सोसाइटी के अपमान के कारण याद भी नहीं करता था। आज ईश्वर ने उसे बता दिया जन्म
देने वाली माँ का प्यार असीम होता है, निस्वार्थ होता है, दुनिया में उससे ज्यादा प्यार करने वाला कोई नहीं । माँ अपने बच्चे का पेट
देखती है कि कही वो भूखा तो नही है,लेकिन पत्नी हमेशा
अपने पति का पर्स देखती है कि वह भरा है कि नही ताकी वह ऐशो –आराम कर सके।यह जीवन
कि सच्चाई है। वो लेटे लेटे यही सोंच रहा था और रो रहा था की ईश्वर ने शायद माँ के प्यार की क़द्र न करने की सजा दी।
लेकिन शायद माँ स्वर्ग में भी उसकी इस हालत को देख तड़प उठी होगी" "माँ जीवन का अनमोल और निस्वार्थ प्यार है किसी और के प्यार के लिए उसे मत ठुकराना दोस्तों माँ पिता ही हमारे भगवान है इन्होने हमें जन्म दिया यही बहुत बडी बात है फिर वो चाहे कैसे भी हो हमारे लिए भगवान है। तभी तो कहते है माँ के
चरणों मे स्वर्ग होता है और हम बेवकूफ़ों कि तरह इसे मंदिरो,मस्जिदों,गिरिजाघरों और गुरुद्वारों मे पूजा–बंदगी करके
पत्थर कि मूर्तियो से मांगते है। एक बार दिल से माँ कि सेवा करके तो देखे जीते जी स्वर्ग
का आनंद न मिले तो कहना।मरने के बाद किसने स्वर्ग और नरक देखा अगर कोई हो तो हमे जरूर
बताए। दुःख मत देना तुम इन्हें लग जायेगा पाप जीवित ईश्वर है यहाँ गाये माँ और बाप। मित्र Vinay Tripathi (Dhannu) जी के दवारा।