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अखबार बांटने के तौर पर पहला रोजगार शुरू किया था…मिसाइल मैन भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने…….
Posted by : achhiduniya
15 June 2015
कलाम और उनके पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार सृजन पाल सिंह द्वारा लिखी गई
इस किताब में युवाओं को रोबोटिक्स, एयरोनॉटिक्स, न्यूरोसाइंसेज, पैथोलॉजी, पेलेन्टोलॉजी और मैटीरियल साइंसेज जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए सलाह
भी दी गई है। कलाम का कहना है कि जब वह युवा थे, तब उन्हें पायलट, उनके विमानों की कहानियां अच्छी लगती थीं। विमानों के बारे में जानने के लिए
वह हमेशा उत्सुक रहते थे और वह खुद पायलट बनना चाहते थे।
उन्होंने लिखा 'मेरे गांव में तो गिनेचुने लोग ही विमानों पर चर्चा कर सकते थे। मेरे परिवार
के लोग पढ़े लिखे नहीं थे। लेकिन मुझे मेरे शिक्षकों से बहुत लाभ मिला। मेरी
जिज्ञासा एक शिक्षक ने शांत की। तब मैं 10 साल का था और पांचवी कक्षा में था। पांचवी कक्षा में पढ़ते समय कलाम ने अखबार
बांटने के तौर पर पहला रोजगार शुरू किया था। उनके बड़े भाई उन्हें अपनी साइकिल
देते थे। सुबह पांच बजे स्टेशन से कलाम तमिल अखबारों का बंडल ले कर स्थानीय
कार्यालयों, चाय के कुछ स्टाल और कभी कभी घरों में बांटते थे।
पेंगुइन बुक्स द्वारा
प्रकाशित अपनी पुस्तक मे कलाम ने लिखा है, 'मेरे शिक्षक का नाम शिवसुब्रमण्यम अय्यर था। एक दिन 65 छात्रों की कक्षा में
उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर चित्र बना कर बताया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं। उसी दिन वह
हमें रामेश्वरम के समुद्र तट पर ले गए जहां समुद्री पक्षी उड़ रहे थे। हमारे
शिक्षक ने बताया कि पक्षी कैसे अपने पंख फैलाते हैं, अपने पंखों और पूंछ का उपयोग कर दिशा बदलते हैं और उड़ान के पीछे क्या बल होता
है... यह पक्षी के जीवन की ऊर्जा।
शिक्षक ने बताया कि विमान इसी सिद्धांत के आधार
पर उड़ता है। एक घंटे के इस सबक के बाद कलाम को पक्षी की उड़ान का रहस्य समझ में आ
गया। कलाम ने कहा कि एक लेक्चर ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी। मेरे शिक्षक ने
मुझे जीवन का उद्देश्य दे दिया। मुझे भौतिक विज्ञान के अध्ययन का महत्व समझ में आ
गया। मैंने भौतिकी को चुना। मैंने एरोनाटिकल इंजीनियरिंग को प्राथमिकता दी और फिर
रॉकेट इंजीनियर बना। उसके बाद अंतरिक्ष वैज्ञानिक। किताब में उन्होंने यह भी बताया
है कि बचपन में लड़ाकू विमानों की तस्वीरें और दूसरे विश्व युद्ध की कहानियों से
भरे अखबार पढ़ना उन्हें कितना अच्छा लगता था।
उन्होंने लिखा है लेकिन स्टेशन से रवाना होने से पहले
मैं वहां बेंच पर बैठ कर दैनिक 'दिनामणि' की एक प्रति खोलता था। पहला पन्ना हमेशा अच्छा लगता था, जिसमें लड़ाकू विमानों की
तस्वीरें और दूसरे विश्व युद्ध की कहानियां होती थीं। इस नन्हें कलाम को आज दुनिया
वैज्ञानिक एवं भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम,मिसाइल मैन के नाम से जानती है।