- Back to Home »
- Knowledge / Science »
- कहा से आया चश्मा.........चश्मे का इतिहास………?
Posted by : achhiduniya
09 July 2015
सम्राट नीरो की आंखें बडी कमजोर थी, उन्होंने अपनी आंखों की ज्योति बढाने के कई
यत्न किए, लेकिन सफलता न मिली। एक बार एक सौदागर ने उन्हें एक चमकता हुआ कागज
दिया और कहा - इसे आप अपनी आंखों पर लगाना, सब कुछ साफ-साफ
दिखाई देने लगेगा। उन दिनों ही नीरो अपने पडोसी सम्राट से युद्ध में उलझा हुआ था। नीरो युद्ध में अपने सैनिकों की स्थिति देखने के
लिए अपनी आंखों के समक्ष सौदागर के दिए 'चमकते कागज' को लगा लेता। उसे युद्ध की स्थिति
बिल्कुल साफ दिखाई देती थी।
आखिर इस चमकते कागज में क्या रहस्य छिपा था...? न तो नीरो जान पाया न ही उसके विद्वान
मंत्री जान सके। इतिहास का यह कागज आज भी एक रहस्य बना हुआ है। सर्वप्रथम रोम के
एक पोप ने अपने उपदेश देते हुए कहा था - यदि कोई बारीक लिखाई या वस्तु पारदश्री
कांच से देखी जाए तो वह बडी दिखाई देती है। उनके इस उपदेश से कई लोग बडे प्रभावित
हुए। जब उन्होंने पोप की कही बात का अनुसरण किया तो वाकई बारीक लिखाई या वस्तु बडी
दिखाई देने लगी, लेकिन इस संदर्भ में सबसे ज्यादा फायदा ऐसे
लोगों को हुआ जिनकी आंखें कमजोर थीं। उस जमाने में पारदश्री कांच उनकी आंखों का
सच्चा साथी बना।
इस तरह नजर के चश्मे की छोटी सी बुनियाद की शुरुआत हुई। नजर के चश्मे का इतिहास 800 बरस पुराना है। जिनकी आंखें कमजोर
होती हैं, दूर या पास का दिखाई नहीं देता या धुंधला-धुंधला
दिखाई देता है, लेकिन नजर का चश्मा आंखों पर लगाते ही उन्हें
सब कुछ साफ-साफ दिखाई देने लगता है।
१२वीं शताब्दी के नौवें दशक में वेनिस के
विक्टोरिया नामक युवक ने एक प्रकार के चश्मे इजाद किए। इन चश्मों को एक आंख के सामने लगाकर देखा जाता
था।