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Posted by : achhiduniya
30 October 2015
देश
मे असहिष्णुता के माहौल' के खिलाफ बढते विरोध में
आज इतिहासकार भी लेखकों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों
के साथ शामिल हो गए। बुद्धिजीवियों के विरोध प्रदर्शनों की लहर में वैज्ञानिकों की
इस कडी में शीर्ष वैज्ञानिक पी.एम. भार्गव ने कहा कि वह अपना पद्म भूषण पुरस्कार
लौटा देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार भारत को एक 'हिंदू
धार्मिक निरंकुश तंत्र' में बदलने की कोशिश कर
रही है।
भार्गव ने कहा,वर्तमान सरकार लोकतंत्र
के रास्ते से दूर जा रही है और देश को पाकिस्तान की तरह हिंदू धार्मिक निरंकुश तंत्र
में बदलने की ओर अग्रसर है, यह स्वीकार्य नहीं है।
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने पुरस्कार लौटाने वालों पर जवाबी हमला करते हुए कहा
कि पुरस्कार लौटाने वालों में अधिकतर 'कट्टर भाजपा विरोधी तत्व' हैं।
पटना में जेटली ने कहा,आप उनके ट्वीट और
विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर रुख को देखें। आप उनके भीतर काफी हद तक
कट्टर भाजपा विरोधी तत्व पाएंगे। मैं पहले ही इसे सोचा-समझा विरोध बता चुका हूं।
दिग्गज
अभिनेता अनुपम खेर और फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने
वाले दिबाकर बनर्जी और आनंद पटवर्धन जैसे फिल्म निर्माताओ की निंदा की है। खेर ने
ट्वीट किया कि कुछ और स्वाभाविक संदिग्ध जो नरेंद्र मोदी को कभी प्रधानमंत्री बनते
हुए नहीं देखना चाहते थे, अवार्ड वापसी गैंग' में
शामिल हो गए। भंडारकर ने कहा कि फिल्म
निर्माताओ का यह कदम फिल्म से जुडे लोगों तथा इसे देने वाले भारत के राष्ट्रपति का
'अपमान' है।
वही बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन ने आज कहा कि वह अपना राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं
लौटाएंगी, क्योंकि यह सम्मान
उन्हें राष्ट्र ने दिया है, सरकार ने नहीं। विद्या ने वर्ष 2012 में 'द डर्टी पिक्चर' में
अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। पूरे देश
के नागरिक यही कह रहे की साहित्यकार और फिल्मकार पुरस्कार नहीं, गैस
सब्सिडी वापस करें यह देश के हित में होगा…….