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- संता-बंता कौन थे....?अगर संता-बंता पर जोक्स बनाते या पड़ते है तो....इसे जरूर पडे
Posted by : achhiduniya
02 November 2015
भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश मे
किसी भी धर्म विशेष को लेकर कोई भी बात चाहे वह मजाक के रूप मे हो,छीका टिप्पणी के तौर पर हो
तो उसके मौलिक अधिकारो का हनन है।हाल
ही मे हरविंदर चौधरी की तरफ से
सुप्रीम कोर्ट मे दायर एक
याचिका में कहा गया है,कि संता-बंता कैरेक्टर की आड़ में चुटकुलों के जरिए
सिख समुदाय की भावनाएं आहत की जा रही हैं।कॉमेडी कैरेक्टर संता-बंता के नाम पर
चुटकुलों को सिख समुदाय के लिए अपमानजनक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर एक
जनहित याचिका में संता-बंता वाले चुटकुले छापने वाली 5000
से ज्यादा वेबसाइट्स पर
बैन लगाने की मांग की गई है।
हरविंदर चौधरी ने कहा है कि जब दूसरे समुदाय की
भावनाएं आहत करने की कोशिश होती है तो उनके लिए हर तरफ से आवाज उठती है,लेकिन सिखों के अपमान पर कोई आवाज नहीं उठाता।सुप्रीम
कोर्ट गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा। क्या आप जानते हैं कि “संता-बंता” कौन थे? क्या आप जानते हैं सिखों पर जोक्स क्यू बनाये जाते हैं तो पढ़िए एक
सरदार पर जोक बनाना औए सुनाना कितना आसान होता है।सर पर पगड़ी और बगल में कृपाण,तलवार रखने वाले सरदार भी अक्सर आपके जोक्स और मजाक को भी नजरअंदाज करते हुए
खुश रहते हैं। संता-बंता” जिनके जोक
पढ़कर हम और आप अक्सर हंसते हुए सिखों का, सरदारों का मजाक उड़ाते हैं, क्या कभी ये जानने की कोशिश कि आखिर ये दोनों कौन थे।
आइए जानने के लिए
बिते इतिहास पर एक नजर डालते है। जून 1984 में इन्दिरा गांधी ने सिखों के धार्मिक स्थल श्री हरमिंदर साहब
(स्वर्ण मंदिर,
अमृतसर) पर हमले का आदेश दिया था (ऑपरेशन
ब्लूस्टार),
जिसमें सेना के जवानों सहित लगभग 2000 लोग मारे गए थे। इंदिरा गांधी ने अपने राजनेतिक फायदे के लिए
भिंडरावाले का इस्तेमाल किया।जब भिंडरावाले ने इंदिरा गांधी के खिलाफ आवाज़ उठाई तो
इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मन्दिर पर हमला कराया।जिसमे सेकड़ों मासूम सिखों की मौत हुई।
इस ऑपरेशन के चार महीने बाद इंदिरा गाँधी के ही दो अंगरक्षकों सरदार सतवंत सिंह और
सरदार बेअंत सिंह ने घटना का प्रतिशोध लेते हुए अपने हथियारों से उन पर हमला करके
उनकी हत्या कर दी थी। सतवंत और बेअंत को अपने धार्मिक स्थल पर हमला बर्दास्त नहीं
था, मन्दिर को कई चोटें आई और अकाल तख्त तबाह हो गया। इंदिरा गांधी की मौत
के बाद पुरे भारत में सिख विरोधी दंगे हुए जिसका केंद्र दिल्ली रहा।
जिसमे तकरीबन 3000
सिखों का कत्लेआम हुआ। इंदिरा गाँधी का वध करने वाले इन दो सरदारों को बेइज्जत करने के लिए
तत्कालीन कांग्रेस सरकार के चमचों ने इनके उपर जोक बनाने शुरु किये, जिसमें सिक्खों का खूब मजाक उड़ाया जाने लगा और जिसका बेहूदा सिलसिला
आज तक थमा नहीं है। बात सिर्फ संता बंता की नहीं, बात पूरे सिक्ख समुदाय की है। क्योंकि इन अभद्र चुटकुलों के नाम पर
अपमान सिर्फ संता-बंता यानि “सतवंत सिंह” और “बेअंत सिंह” का नहीं पूरे
सिक्ख समुदाय का हो रहा है।अगर चाहे तो किसी और
नाम से जो किसी विशेष समुदाय को निर्देशित न करता हो उन चरित्रों के नाम ले सकते है।जिससे
किसी भी समुदाय का अपमान न हो आखिर मनोरंजन तो मनोरंजन होता है।मित्र दीपक पंडया और
अमित वर्मा के दवारा प्राप्त जानकारी जिसे संशोधित कर आपके साथ सांझा की गई।