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- अपने आप को पहचानने का एक उत्तम जरिया………..ध्यान योग [मेडिटेशन]
Posted by : achhiduniya
18 December 2015
जीवन
में व्यक्ति को जाने कितनी तरफ से कितने दबाव झेलने पडते हैं। कभी कार्यालय,कभी
परिवार रिश्तों को लेकर,कभी बीमारी और पर्यावरण
को लेकर जिनके कारण मनुष्य चिंताग्रस्त रहने लगता है। वह ब्लडप्रेशर और दिल की
बीमारी का मरीज बन जाता है।रिसर्च से पता चला है कि रक्त में पाए जाने वाले
हार्मोंस और दूसरे बायोकेमिकल उत्पाद जिनसे स्ट्रैस का पता चलता है।मेडिटेशन यानी ध्यान
के दौरान घट जाते हैं। समयानुसार ये बदलाव स्थिर हो जाते हैं। इस तरह से व्यक्ति
अपने रोजर्मरा के कार्यो को करते हुए कम तनाव महसूस करता है। कहते हैं 'मेडिटेशन
इज माइंड विदाउट एजिटेशन.' ध्यान से मन
शांत-निर्विकार होता है।
ध्यान में अपने चित्त की गतिविधि को, देहगत
संवेदना को तटस्थ बनकर,सिर्फ साक्षी के तौर पर
देखा जाता है। अपने को पहचानने का एक उत्तम जरिया है ध्यान [मेडिटेशन]। यह अपने आप
में एक संपूर्ण व्यायाम है जो आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और
तनाव से छुटकारा दिलाता है।तनाव संबंधी अन्य कई व्याधियों जैसे अल्सर, अनिद्रा, आईबीएस
(इरिटेबल बॉबेन सिंड्रोम) में भी मेडिटेशन से आराम आता है।करीब सत्तर से अस्सी
प्रतिशत लोगों को अनिद्रा रोग से मुक्ति मिली है। वे चैन की नींद सोने लगे हैं।
जोडों के रोग से लेकर सिरदर्द, हर समय चिंता,घबराहट
व नर्वस डिसऑर्डर जैसे मनोरोगों के लिए भी मेडिटेशन दवा का काम करती है। दर्द के
कारण चिंता बढती है और बढी हुई चिंता दर्द बढाती है। इस तरह यह एक दुष्चक्र (विशस
सर्कल) बन जाता है।
इस तरह जीने का मजा नहीं रहता। जो लोग तनाव रहित रहते हैं,उन्हें
दर्द उतना महसूस नहीं होता जितना उन्हें जो तनाव में घिरे रहते हैं।स्त्रियों में
मासिक चक्र से पूर्व जो तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है जिसे मेडिकल भाषा में प्री
मिस्ट्रएल सिंड्रोम कहते हैं इस कारण उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड सकता
है। जैसे भारीपन,थकान,दर्द,जकडन
इत्यादि....... अगर नियमित रूप से मेडिटेशन की जाए तो पीएमएस[प्री मिस्ट्रएल
सिंड्रोम]से निजात पाई जा सकती है।मेडिटेशन करने से उम्र बढती है। चित्त शांत
रहेगा,मन खुश रहेगा तो बीमारियां कम
घेरेंगी। इम्यून सिस्टम स्ट्रांग रहेगा।
केलोरीज पर कंट्रोल रहेगा तो वजन नियंत्रण
में रहेगा जिससे जीवन डोर लंबी होती है और व्यक्ति की आयु दीर्घ होती है।तनाव घटता
है साथ ही श्वास से जुडे अनेक रोगों जैसे अस्थमा,एंफीसेमा
और श्वासनली अवरुद्ध होने से श्वास रुकने का खतरा बना रहता है जिससे रोगी एक भय
लेकर जीता है। अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसे रोगों से ग्रस्त रोगियों को ब्रेथ
मेडिटेशन से सांस लेने में काफी रिलीफ मिलता है।