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- कुछ भी असंभव नही.....वेस्ट मटेरियल का कमाल....
Posted by : achhiduniya
22 December 2015
रायपुर
दुर्ग
के एक
निजी इंजीनियरिंग
कॉलेज
के मैकेनिक
विभाग
के एचओडी
पंकज अग्रवाल
ने गांव
वालों
को बारिश के
दिनो में
हो रही
नदी पार
करने की
परेशानी
को देखते
हुए ऐसा
कुछ बनाने
का विचार
आया की गाँव
वाले को
कम बजट
मे इस
परेशनी
से निकाला
जाए। जिसमे
उन्होने
छात्र
प्रतीक, एन
रविकिरण, रितेश विनोद
कुमार
देवांगन और
मयंक अग्रवाल
के साथ
मिलकर
तैरने
वाली साइकिल
बनाई। इस
साइकिल
को बनाने
में आठ
खाली पीपे
और कुछ
कबाड़
के सामान
लगे हैं।
साइकिल
में दो
सवारी
के वजन
को ध्यान
में रखकर
आठ पीपे
लगे। इन्हें
दोनों
तरफ बांधा
गया है। हैंडिल
और करियर
के बीच
दो रॉड
लगाई गई
है। पिछले
पहिए में
पतवारें
हैं। पानी
में पतवारें
पैडल मारते
ही तेजी
से चलती
हैं और
साइकिल
बढ़ती है।
डायनेमो
से अटैच
हेडलाइट
भी लगी
है, ताकि
रात में
भी इसे
चलाया
जा सके।
जरूरत
पड़ने पर
इसे बैटरी
से भी
चला सकते
हैं।'बेस्ट
फ्रॉम
वेस्ट' के
जरिए बनी
इसकी कुल
लागत एक
हजार से
भी कम
है।इसे
बारिश
ही नही
बाड़ के
दिनो मे
भी इस्तेमाल
किया जा
सकता है।