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देश की अदालतों में 3.14 करोड लंबित मुकदमे निपटाने के लिए चाहिए 70,000 जज.....प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर
Posted by : achhiduniya
09 May 2016
देश
में न्यायाधीशों और आबादी के बीच के अनुपात के कम रहने पर चिंता जताते हुए प्रधान
न्यायाधीश ठाकुर ने कहा कि न्याय तक पहुंच एक मौलिक अधिकार है और सरकारें लोगों को
इससे वंचित नहीं कर सकतीं। अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढकर 3.14 करोड तक पहुंच गई है। हाल ही में नई दिल्ली में एक सम्मेलन के दौरान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में लंबित मामलों की संख्या के मुद्दे को
लेकर भावुक होने वाले प्रधान न्यायाधीश ने यहां उच्च न्यायालय की सर्किट पीठ के
शताब्दी समारोह के मौके पर कानून विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए खाली पदों का
मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अगर हम आबादी में वृद्धि पर गौर करें तो हमें लंबित
मामलों के निपटारे के लिए 70 हजार से ज्यादा न्यायाधीशों की
जरूरत हो सकती है।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, हम (न्यायपालिका) यह
सुनिश्चित करना चाहते हैं कि न्यायाधीशों की नियुक्ति जल्दी हो, लेकिन न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया से जुडी मशीनरी काफी धीमी गति
से काम कर रही है। उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिए करीब 170 प्रस्ताव अभी सरकार के पास लंबित हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायाधीशों की कमी
देश में न्यायपालिका के सामने विकट चुनौतियों में से एक है। देश के विभिन्न उच्च
न्यायालयों में करीब 900 स्वीकृत पदों में से 450 से ज्यादा रिक्तियों को तत्काल भरे जाने की आवश्यकता है। 30 वर्ष से जूझ रहे कमी से न्यायाधीशों और आबादी के बीच के अनुपात का जिक्र
करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 1987 में विधि आयोग ने सुझाव
दिया था कि लंबित मामलों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए 44 हजार न्यायाधीशों की जरूरत है और देश में आज सिर्फ 18 हजार न्यायाधीश हैं। उन्होंने कहा कि 30 वर्ष से हम
कम संख्या के साथ काम कर रहे हैं। न्यायपालिका में त्वरित नियुक्ति किए जाने की
फिर एक बार अपील करते हुए प्रधान न्यायाधीश
(सीजेआई) टी.एस. ठाकुर ने आज कहा कि लंबित मामलों की भारी संख्या के
निपटारे के लिए देश को 70 हजार से ज्यादा न्यायाधीशों की
जरूरत है।