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- क्या अधिक फलो के जूस का सेवन घातक है............?
Posted by : achhiduniya
15 May 2016
फलों
के जूस में काबरेहाइड्रेट्स की मात्रा अधिक होती है। इसे यदि अत्यधिक मात्रा में
लिया जाए तो डायरिया, पेट दर्द, पेट फूलने
और गैस की शिकायत होती है। कम उम्र के बच्चे फ्रूट जूस और फ्रूट ड्रिंक्स की
आवश्यकता से अधिक मात्रा ले लेते हैं क्योंकि उन्हें इसका स्वाद अच्छा लगता है। साथ
ही जूस को पोषक के रूप में भी देखा जाता है इसलिए बच्चों के माता-पिता भी इसकी
मात्रा का ख्याल नहीं रखते हैं। बहुतों को फलों का जूस पीने का शौक रहता है तो कुछ
इनका सेवन इसलिए करते हैं कि इससे उन्हें ऊर्जा मिलेगी। कुछ अपनी शान दिखाने के लिए इसे पीते
हैं। सोडा की तरह जूस भी ऊर्जा असंतुलन पैदा कर सकता है। अधिक मात्रा में जूस पीने
से व्यस्कों में चर्बी की मात्रा बढ जाती है। अमेरिकन अकेडमी ऑफ पेडिएट्रिक्स ने
बच्चों को प्रतिदिन फलों का जूस पिलाने की एक सीमा निर्धारित की है और चेतावनी दी
है कि अधिक जूस पिलाने से पेट की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
अमेरिका में फलों का शत-प्रतिशत जूस, जिसमें कुछ भी नहीं मिलाया गया हो, फ्रूट जूस की श्रेणी में आता है, जबकि जूस में थोडी सी भी मिलावट उसे फ्रूट ड्रिंक्स की श्रेणी में ला देती है। एकेडमी की पोषाहार समिति ने एक से छह वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को प्रतिदिन से 6 औंस (113.3 से 170.4 मि.ली.) और 7 से 18 वर्ष तक की आयु के वर्ग के बच्चों को 8 से 12 औंस (227.3 और 340.9 मि. ली.) तक जूस देने की सिफारिश की है। समिति ने आगाह किया है कि छह माह की आयु से कम के शिशुओं को फलों का जूस नहीं देना चाहिए। समिति ने यह कहा कि छह माह के बाद के शिशुओं को बोतल से जूस भी नहीं पिलाना चाहिए। साथ ही सोने से पहले भी जूस नहीं पिलाना चाहिए। यदि बच्चे के मुंह में पूरे दिन जूस की बोतल, कप और जूस का डिब्बा पकडाया जाता है तो इसके कारण दांत और मसूडे के रोग हो सकते हैं। सीमित मात्रा में फलों का जूस पीना सेहत के लिए अच्छा है, लेकिन इसकी अधिकता शरीर में लाभ की जगह नुकसान पहुंचाती है।
अमेरिका में फलों का शत-प्रतिशत जूस, जिसमें कुछ भी नहीं मिलाया गया हो, फ्रूट जूस की श्रेणी में आता है, जबकि जूस में थोडी सी भी मिलावट उसे फ्रूट ड्रिंक्स की श्रेणी में ला देती है। एकेडमी की पोषाहार समिति ने एक से छह वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को प्रतिदिन से 6 औंस (113.3 से 170.4 मि.ली.) और 7 से 18 वर्ष तक की आयु के वर्ग के बच्चों को 8 से 12 औंस (227.3 और 340.9 मि. ली.) तक जूस देने की सिफारिश की है। समिति ने आगाह किया है कि छह माह की आयु से कम के शिशुओं को फलों का जूस नहीं देना चाहिए। समिति ने यह कहा कि छह माह के बाद के शिशुओं को बोतल से जूस भी नहीं पिलाना चाहिए। साथ ही सोने से पहले भी जूस नहीं पिलाना चाहिए। यदि बच्चे के मुंह में पूरे दिन जूस की बोतल, कप और जूस का डिब्बा पकडाया जाता है तो इसके कारण दांत और मसूडे के रोग हो सकते हैं। सीमित मात्रा में फलों का जूस पीना सेहत के लिए अच्छा है, लेकिन इसकी अधिकता शरीर में लाभ की जगह नुकसान पहुंचाती है।