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- सस्ते सन गॉगल्स धूप से आंखों की रक्षा करने के बजाय आंखों के लिए खतरा बन सकते है...जाने कैसे... ?
Posted by : achhiduniya
20 May 2016
सडक
किनारे मिल रहे सन गॉगल्स की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है, इसलिए इन्हें पहनकर अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव संभव नहीं है। जिसके चलते
रेटीना खराब होने का खतरा बना रहता है। शहर हो या गाँव में धूल और हवा के कारण उडने
वाले कचरे से आंखों के बचाव के लिए ये गॉगल्स पहने जा सकते है। यदि संभव हो तो आंखों
के प्रोटेक्शन के लिए अच्छे सन गॉगल्स ही पहनने चाहिए। सन ग्लासेस के नाम पर कई बार
फाइबर या ग्लास को ब्लैक, रंगीन फिल्म लगा दी जाती है।
जिससे सनलाइट रोकी तो जाती है लेकिन इसका सीधा असर आंखों पर होता है। यूवीए (लांगेस्ट वेवलेंग्थ ऑफ अल्ट्रावायलेट रेडिएशन) की तुलना में यूवीबी (शॉर्टेस्ट वेवलेंग्थ ऑफ अल्ट्रावायलेट रेडिएशन) को लेकर कई देशों में नियम बने हुए है। किसी भी सनग्लास का जनरल यूज हो तो यूवीबी 70 फीसदी ब्लाक होना चाहिए। स्पेशल परपज में ये 90 फीसदी तक होना चाहिए। हालांकि इन नियमों पर ये सस्ते गॉगल्स खरे नहीं उतरते है। समय रहते सतर्क हो जाएं, और ऐसे सस्ते गॉगल्स के चक्कर में आने से बचें।
क्योंकि आंखों के स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि ये गॉगल्स ऐसे मटेरियल से बने है, जिसका इस्तेमाल आपकी आंखों की रोशनी को हमेशा के लिए भी डैमेज कर सकता है। अल्ट्रावॉयलेट रेज से बचाव नहीं होता।
जिससे सनलाइट रोकी तो जाती है लेकिन इसका सीधा असर आंखों पर होता है। यूवीए (लांगेस्ट वेवलेंग्थ ऑफ अल्ट्रावायलेट रेडिएशन) की तुलना में यूवीबी (शॉर्टेस्ट वेवलेंग्थ ऑफ अल्ट्रावायलेट रेडिएशन) को लेकर कई देशों में नियम बने हुए है। किसी भी सनग्लास का जनरल यूज हो तो यूवीबी 70 फीसदी ब्लाक होना चाहिए। स्पेशल परपज में ये 90 फीसदी तक होना चाहिए। हालांकि इन नियमों पर ये सस्ते गॉगल्स खरे नहीं उतरते है। समय रहते सतर्क हो जाएं, और ऐसे सस्ते गॉगल्स के चक्कर में आने से बचें।
क्योंकि आंखों के स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि ये गॉगल्स ऐसे मटेरियल से बने है, जिसका इस्तेमाल आपकी आंखों की रोशनी को हमेशा के लिए भी डैमेज कर सकता है। अल्ट्रावॉयलेट रेज से बचाव नहीं होता।