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- सावधान मिठाइयो की रंगत पर न जाए गुणवत्ता को ध्यान मे रख खरीदे.......
Posted by : achhiduniya
27 May 2016
आज
घरों में मिठाइयां बनना लगभग बंद सा हो गया है और बाजार से ही खरीदकर अपनी ख्वाहिश
पूरी की जा रही है। लेकिन जो मिठाई आप
बाजार से खरीद रही हैं, क्या वह गुणवत्ता में उत्तम है? यदि बाजार से दूषित, बासी मिठाई खरीद ली जाए तो
इससे फूड पॉइजनिंग हो सकती है। उल्टी- दस्त लग सकते हैं। बाजार की मिठाइयों के
मोहक रंगों पर न जाएं। उनमें ये रंग प्राकृतिक न होकर कृत्रिम हो सकते हैं।
ब्रांडेड कंपनियों की मिठाइयां जो पैक्ड होती हैं, एक्सपायरी
डेट देखकर ही खरीदें। दूध से बनी मिठाइयां जैसे रबडी, दूधपाक,
रसमलाई आदि शीघ्र खराब होने वाली मिठाइयां हैं, खास तौर पर गर्मियों में तो यह दूसरे दिन ही खराब हो जाती है। इसलिए दूध
की मिठाइयों को उतनी ही मात्रा में खरीदें, जितनी उस दिन
उसकी खपत हो।
जिस बॉक्स या डिब्बे में दुकानदार ऐसी मिठाइयों को पैक करता है, उस पर भी छपा होता है कि उसे तुरंत इस्तेमाल किया जाए। यदि दूध से बनी मिठाई बच जाए तो उसे फ्रिज में रखना चाहिए। फ्रिज में भी वह एक या दो दिन तक टिकी रह सकती है। कुछ मिठाइयां जैसे सोन पपडी, सोहन हलवा, काजू कतली, आदि एक से दो सप्ताह तक खराब नहीं होतीं, क्योंकि इनमें मावा या खोया नहीं होता। मावे या खोये से बनी मिठाइयां अधिक दिनों तक नहीं टिकतीं। यदि आप सोचती हैं कि त्यौहार के दिन मिठाइयां अच्छी नहीं मिलेंगी, इसलिए एक सप्ताह पहले ही खरीद लाती हैं, लेकिन ऐसा करना बुद्धिमानी नहीं है। क्योंकि सात दिनों में वह आपके यहां रखी रखी ही खराब हो जाएगी। यदि आपको लगता है कि बाजार से लाई गई मिठाई खराब हो चुकी है तो ऐसी विषाक्त मिठाइयों को न तो आप अपनी कामवाली बाई या नौकरों को दें और न ही भिखारियों को।
इन दिनों ड्रायफ्रूट्स की मिठाइयां खरीदने का क्रेज बढता जा रहा है। ये महंगी होती हैं पर इनमें भी मिलावट होती है। बादाम की कतरन के बजाय मूंगफली की कतरन का इस्तेमाल धडल्ले से हो रहा है। बादाम, पिस्ता, काजू आदि भी तेल निकली हुई इस्तेमाल की जाती है। एक उपभोक्ता होने के नाते आपको जागरूक रहना होगा। खाद्य पदाथरें में मिलावट करने पर दोषी को अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है। मिठाइयों में मिलावट की आशंका होने पर इसकी शिकायत फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया से कर सकती हैं या फिर स्थानीय स्तर पर खाद्य निरीक्षक से कर सकती हैं।
जिस बॉक्स या डिब्बे में दुकानदार ऐसी मिठाइयों को पैक करता है, उस पर भी छपा होता है कि उसे तुरंत इस्तेमाल किया जाए। यदि दूध से बनी मिठाई बच जाए तो उसे फ्रिज में रखना चाहिए। फ्रिज में भी वह एक या दो दिन तक टिकी रह सकती है। कुछ मिठाइयां जैसे सोन पपडी, सोहन हलवा, काजू कतली, आदि एक से दो सप्ताह तक खराब नहीं होतीं, क्योंकि इनमें मावा या खोया नहीं होता। मावे या खोये से बनी मिठाइयां अधिक दिनों तक नहीं टिकतीं। यदि आप सोचती हैं कि त्यौहार के दिन मिठाइयां अच्छी नहीं मिलेंगी, इसलिए एक सप्ताह पहले ही खरीद लाती हैं, लेकिन ऐसा करना बुद्धिमानी नहीं है। क्योंकि सात दिनों में वह आपके यहां रखी रखी ही खराब हो जाएगी। यदि आपको लगता है कि बाजार से लाई गई मिठाई खराब हो चुकी है तो ऐसी विषाक्त मिठाइयों को न तो आप अपनी कामवाली बाई या नौकरों को दें और न ही भिखारियों को।
इन दिनों ड्रायफ्रूट्स की मिठाइयां खरीदने का क्रेज बढता जा रहा है। ये महंगी होती हैं पर इनमें भी मिलावट होती है। बादाम की कतरन के बजाय मूंगफली की कतरन का इस्तेमाल धडल्ले से हो रहा है। बादाम, पिस्ता, काजू आदि भी तेल निकली हुई इस्तेमाल की जाती है। एक उपभोक्ता होने के नाते आपको जागरूक रहना होगा। खाद्य पदाथरें में मिलावट करने पर दोषी को अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है। मिठाइयों में मिलावट की आशंका होने पर इसकी शिकायत फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया से कर सकती हैं या फिर स्थानीय स्तर पर खाद्य निरीक्षक से कर सकती हैं।