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- मेहमानो को दावत देने या दावत पर जाने से पहले रखे इन बातो का ध्यान.........?
Posted by : achhiduniya
21 June 2016
भारतीय
संस्कृति में अतिथि को देवता की तरह पूजा जाता है. अतिथि देवो भव:. अत: जब भी घर
में मेहमान आते हैं चाहे दावत के विषय में हो या यदा-कदा ही घर में मिलने के घर पर
पधारें, उनका अभिवादन व आदर सत्कार दिल से करें। उन्हें यह प्रतीत कराएं कि वे आपके लिए विशिष्ट
हैं। किसी को दावत पर बुलाना है तो विशेष तैयारी करनी आवश्यक है क्योंकि दस लोगों
को घर में बुलाकर खाना खिला देने का अर्थ दावत नहीं होता वरन् दावत शब्द अपने आप
में ही मौज-मस्ती तथा एक अच्छा समय साथ-साथ बांटने का भाव है। अत: सफल दावत के लिए
हमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। दावत से एक या दो दिन पहले घर की
सफाई अच्छी तरह कर लेनी आवश्यक है क्योंकि दावत के दिन रसोईघर से छुट्टी मिलने की
संभावना कम रहती है।
घर के ड्राइंग रूम तथा डाइनिंग रूम के साथ-साथ टॉयलेट आदि की सफाई करना न भूलें। कई बार ऐसा भी होता है कि दावत के दिन गृहस्वामिनी स्वयं नख-शिख श्रृंगार से लदी होती है किन्तु घर की सफाई के साथ-साथ टायलेट व रसोई के लिए समय नहीं निकाल पाती। ऐसा कर वह अपनी फूहड़ता का परिचय देती हैं। मेजबान के साथ मेहमान के शिष्टाचार भी अपने में महत्वपूर्ण हैं। किसी के घर दावत में जाने या यदा-कदा मिलने जाने पर भी कुछ औपचारिकताएं हैं जिन्हें मेहमानों को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। आप जिस समय पर आमंत्रित हैं उसी समय या उससे दस पांच मिनट आगे-पीछे मेजबान के घर जाएं किन्तु बहुत पहले जाने से मेजबान को परेशानी हो सकती है क्योंकि उस समय के लिए वह अपने आपको प्रस्तुत नहीं कर पाते। अपने बच्चों के साथ जाने से पूर्व उन्हें सभी प्रकार के शिष्टाचार से अवगत कराएं ताकि किसी भी स्थिति में आपको शर्मिंदा न होना पडे। समय से अधिक लेट न पहुंचें क्योंकि मेजबान के अन्य कार्यक्रम भी हो सकते हैं।
किसी कारण से आप दावत में न पहुंच रहे हों तो पहले ही क्षमा मांग लेना उचित है। आजकल दावतों में बहुत अधिक व्यंजन बनाने का फैशन नहीं रहा। एक-दूसरे के साथ मेल खाते चुनिंदा व्यंजन बनाएं। व्यंजनों की कुछ तैयारी दावत के पहले दिन ही कर लें ताकि दावत के दिन आप तनाव मुक्त रहे न ही थकी न निढाल लगें। टेबल मैट, नैपकिन, नमक, काली मिर्च आदि औपचारिकताएं मेज पर रखना अनिवार्य है। जगह कम हो तो बुफे सिस्टम करें। दावत में बैठने की व्यवस्था बच्चे, जवान व बूढों को मद्देनजर रखते हुए करनी चाहिए। दावत में बच्चे भी आ रहे हों तो उनकी खेलने की व्यवस्था से लेकर बैठने की व्यवस्था उनके आराम को देखकर करनी चाहिए। खाना देते समय उन्हें कांच के बर्तन न देकर अनब्रेकेबल बर्तनों में खाना दें तो अधिक सुविधाजनक होगा। अगर अन्य मेहमानों को भी बैठाकर खिलाने की व्यवस्था करनी हो तो कुर्सी की दूरी इतनी रहे कि एक-दूसरे से बातचीत करने में सुविधा रहे। रोशनी के विषय में भी आप ध्यान दें। जब सवाल साथ में बच्चों के खाने का हो तो कैन्डल लाइट डिनर बच्चों व बूढों के साथ न करें तो बेहतर होगा।
कुछ और भी जरूरी बातें:-घर में मेहमान आने से आधे घंटे पूर्व अपने काम निपटा लीजिए। हर मेहमान के पास कुछ देर बैठकर बातें करें। वे आपके साथ खाना खाने के अतिरिक्त आपके साथ कुछ समय मनोरंजन के लिए भी आए हुए हैं। अपने मेहमानों के समक्ष अपनी व्यवस्था तथा अपनी थकान को न दर्शाएं। यह अत्यंत आवश्यक है कि आप खाने की तारीफ करना न भूलें। दावत से लौटते समय भी आप एक बार फिर खाने की प्रशंसा व धन्यवाद देना न भूलें। किसी कारणवश आपकी तबीयत ठीक नहीं है तो उदासीन न हों बातचीत में थोड़ा बहुत हिस्सा अवश्य लें। अपने खाने की पसंद-नापसंद की चर्चा उस समय करना ठीक नहीं, अत: उस समय इस चर्चा को न खाने की मेज पर हमें किसी के व्यक्तित्व को निकट से देखने या परखने का अवसर मिलता है, अत: खाने की मेज पर खाने से लेकर परोसने की कला अपने में ही महत्वपूर्ण है। मेहमानों को विदा करते समय उनके आने का धन्यवाद प्रकट करें। अपने व्यवहार से यह प्रकट न करें कि जैसे-तैसे खाना खिलाकर आपने काम निपटाया है।
घर के ड्राइंग रूम तथा डाइनिंग रूम के साथ-साथ टॉयलेट आदि की सफाई करना न भूलें। कई बार ऐसा भी होता है कि दावत के दिन गृहस्वामिनी स्वयं नख-शिख श्रृंगार से लदी होती है किन्तु घर की सफाई के साथ-साथ टायलेट व रसोई के लिए समय नहीं निकाल पाती। ऐसा कर वह अपनी फूहड़ता का परिचय देती हैं। मेजबान के साथ मेहमान के शिष्टाचार भी अपने में महत्वपूर्ण हैं। किसी के घर दावत में जाने या यदा-कदा मिलने जाने पर भी कुछ औपचारिकताएं हैं जिन्हें मेहमानों को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। आप जिस समय पर आमंत्रित हैं उसी समय या उससे दस पांच मिनट आगे-पीछे मेजबान के घर जाएं किन्तु बहुत पहले जाने से मेजबान को परेशानी हो सकती है क्योंकि उस समय के लिए वह अपने आपको प्रस्तुत नहीं कर पाते। अपने बच्चों के साथ जाने से पूर्व उन्हें सभी प्रकार के शिष्टाचार से अवगत कराएं ताकि किसी भी स्थिति में आपको शर्मिंदा न होना पडे। समय से अधिक लेट न पहुंचें क्योंकि मेजबान के अन्य कार्यक्रम भी हो सकते हैं।
किसी कारण से आप दावत में न पहुंच रहे हों तो पहले ही क्षमा मांग लेना उचित है। आजकल दावतों में बहुत अधिक व्यंजन बनाने का फैशन नहीं रहा। एक-दूसरे के साथ मेल खाते चुनिंदा व्यंजन बनाएं। व्यंजनों की कुछ तैयारी दावत के पहले दिन ही कर लें ताकि दावत के दिन आप तनाव मुक्त रहे न ही थकी न निढाल लगें। टेबल मैट, नैपकिन, नमक, काली मिर्च आदि औपचारिकताएं मेज पर रखना अनिवार्य है। जगह कम हो तो बुफे सिस्टम करें। दावत में बैठने की व्यवस्था बच्चे, जवान व बूढों को मद्देनजर रखते हुए करनी चाहिए। दावत में बच्चे भी आ रहे हों तो उनकी खेलने की व्यवस्था से लेकर बैठने की व्यवस्था उनके आराम को देखकर करनी चाहिए। खाना देते समय उन्हें कांच के बर्तन न देकर अनब्रेकेबल बर्तनों में खाना दें तो अधिक सुविधाजनक होगा। अगर अन्य मेहमानों को भी बैठाकर खिलाने की व्यवस्था करनी हो तो कुर्सी की दूरी इतनी रहे कि एक-दूसरे से बातचीत करने में सुविधा रहे। रोशनी के विषय में भी आप ध्यान दें। जब सवाल साथ में बच्चों के खाने का हो तो कैन्डल लाइट डिनर बच्चों व बूढों के साथ न करें तो बेहतर होगा।
कुछ और भी जरूरी बातें:-घर में मेहमान आने से आधे घंटे पूर्व अपने काम निपटा लीजिए। हर मेहमान के पास कुछ देर बैठकर बातें करें। वे आपके साथ खाना खाने के अतिरिक्त आपके साथ कुछ समय मनोरंजन के लिए भी आए हुए हैं। अपने मेहमानों के समक्ष अपनी व्यवस्था तथा अपनी थकान को न दर्शाएं। यह अत्यंत आवश्यक है कि आप खाने की तारीफ करना न भूलें। दावत से लौटते समय भी आप एक बार फिर खाने की प्रशंसा व धन्यवाद देना न भूलें। किसी कारणवश आपकी तबीयत ठीक नहीं है तो उदासीन न हों बातचीत में थोड़ा बहुत हिस्सा अवश्य लें। अपने खाने की पसंद-नापसंद की चर्चा उस समय करना ठीक नहीं, अत: उस समय इस चर्चा को न खाने की मेज पर हमें किसी के व्यक्तित्व को निकट से देखने या परखने का अवसर मिलता है, अत: खाने की मेज पर खाने से लेकर परोसने की कला अपने में ही महत्वपूर्ण है। मेहमानों को विदा करते समय उनके आने का धन्यवाद प्रकट करें। अपने व्यवहार से यह प्रकट न करें कि जैसे-तैसे खाना खिलाकर आपने काम निपटाया है।