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- असफलता से होकर जन्मे सफलता के आविष्कार..........
Posted by : achhiduniya
27 June 2016
साथ ही जिसे अथाह ऊर्जा का स्रोत भी माना जा रहा है, उसी परमाणु ऊर्जा पर उस वैज्ञानिक को भी भरोसा नहीं था जिसने इतिहास में पहली बार परमाणु विखंडन संभव करके दिखाया था। ब्रिटेन के महान वैज्ञानिक रदरफोर्ड जिन्होंने पहली बार परमाणु विखंडन में सफलता पाई थी। उनका कहना था कि इसमें निहित ऊर्जा बहुत ही कम है। अत: इसको 'ऊर्जा स्रोत' के रूप में नहीं देखा जा सकता। आज फ्रांस की तकरीबन 90 फीसदी ऊर्जा जरूरतें परमाणु ऊर्जा से ही हासिल हो रही हैं। टीवी के बारे में भी शुरू से ही ऐसी भविष्यवाणियां हो रही थी कि इसका जीवन बहुत दिनों का नहीं है। हॉलीवुड में अकेडमी सम्मान विजेता एक्टर, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर डेरिल जानुक ने 1946 में ही कह दिया था कि टीवी ज्यादा दिन नहीं चलेगा। डेरिल जानुक का मानना था कि लोग प्लाइवुड के बॉक्स को घूरते-घूरते ऊब जाएंगे। जबकि जानुक के पहले भी साल 1926 में अमेरिकी इनवेंटर ली डिफॉरेस्ट ने कहा था कि थ्योरिटिकली तो टेलिविजन का चल पाना संभव है, लेकिन कारोबारी लिहाज से इसका चल पाना नामुमकिन है।
आज का नतीजा आपके सामने है। एक जमाना था, जब रेलगाड़ी की कामयाबी को लेकर आशंकाएं थीं और ये आशंकाएं आम लोगों से लेकर कई महान तकनीकी विशेषज्ञों तक को थीं। यहां तक कि यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन के विद्वान प्रोफेसर डॉ लार्डर ने भी घोषणा कर दी थी तेज गति से रेल यात्रा संभव ही नहीं है। लेकिन ब्रिटिश सरकार अपने विश्वास पर कायम रही और इतिहास गवाह है कि उसका विश्वास किस कदर कामयाब हुआ। आज की तारीख में अगर पूरी दुनिया की रेलगाडियां एक सप्ताह के लिए बंद हो जाएं तो 50 खरब डॉलर से ज्यादा का कारोबारी नुकसान हो जाए। लेकिन आशंकाएं तो आशंकाएं हैं। सिर्फ रेलगाड़ी को लेकर ही नहीं हवाई जहाज को लेकर भी तमाम नकारात्मक अनुमान व्यक्त किए गए थे, जो इस धारणा के पक्ष में थे कि हवा में भारी उड़ने वाली मशीनों का निर्माण असंभव है। प्रख्यात वैज्ञानिक एवं ब्रिटिश रायल सोसायटी के अध्यक्ष लार्ड केल्विन ने 1895 में यह भविष्यवाणी की थी।
किंतु इंसान उड़ा और वह भी महज 8 साल बाद ही सन 1903 में सिर्फ लार्ड केल्विन ने ही नहीं बल्कि महान वैज्ञानिक एडिसन भी यही मानते थे कि उड़ने वाली मशीन का निर्माण संभव नहीं है। जिस तरह उड़ने वाली मशीन यानी विमान को लेकर इसके मूर्त रूप लेने के पहले तक तमाम जिद्दी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं। उसी तरह हवाई जहाज बन जाने के बाद भी उसी दुनिया के तमाम तकनीकी विशेषज्ञ यह मानने को तैयार नहीं थे कि शुरुआती दौर के हवाई जहाजों से बड़ा और उन्नत हवाई जहाज भी किसी दिन अस्तित्व में आएगा। इंसान की तमाम शानदार और सपनीली कामयाबियों में असफल अनुमानों का अप्रतिम योगदान है, बल्कि अगर कहें कि हर महान कामयाबी एक असफल अनुमान का नतीजा है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अब भला यह बात कौन सोच सकता है कि आज जिस फोन के बिना दुनिया का एक पल गुजारा नहीं है, कभी इसी फोन के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति का अनुमान था कि इसे कोई इस्तेमाल नहीं करेगा।
जबकि आज स्थिति यह है कि दुनिया की आबादी करीब 7.5 अरब है और दुनिया में फोनों की संख्या कोई 11 अरब के पार है,लेकिन जब ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया और इसका बहुत जोर-शोर से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रदरफोर्ड हेज (1877-81) के सामने प्रदर्शन किया तो टेलीफोन का प्रदर्शन देखकर राष्ट्रपति प्रभावित तो हुए, ग्राहम बेल की पीठ भी थपथपाई लेकिन बड़ी मासूमियत से अफसोस के भाव वाला चेहरा बनाकर कहा, आविष्कार तो ठीक है किंतु इस चीज को भला कौन इस्तेमाल करना चाहेगा? यकीन मानिए अगर अमेरिकी राष्ट्रपति की इस नकारात्मक टिप्पणी से ग्राहम बेल हतोत्साहित हो गए होते तो आज टेलीफोन की मौजूद सपनीली दुनिया भला कहां होती।