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- सरकार पेट्रोलियम टैक्स से भर रही खजाना…………..
Posted by : achhiduniya
09 June 2016
पेट्रोल
और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने की संभावना के सवाल पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र
प्रधान ने गत दिवस मीडिया से कहा कि मैंने अक्सर कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार
में पेट्रोलियम पदार्थो के दाम में दैनिक घट-बढ पर बिना सोचे-समझे प्रतिक्रिया
नहीं देनी चाहिए। तेल मूल्यों में तीन दिन तक लगातार गिरावट पर खुशी से उछलना नहीं
चाहिए और इसके दाम तीन दिन तक लगातार बढने पर जल्दबाजी में तीव्र प्रतिक्रिया भी
नहीं होनी चाहिए। गौरतलब है कि पेट्रोल और डीजल के खुदरा दाम इस साल मार्च के बाद
से 9-10
रु प्रति लीटर तक बढ चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2015-16 में सरकार को पेट्रोलियम पदार्थो पर उत्पाद शुल्क की वसूली से 1,98,793.3
करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ जो कि पिछले वर्षों की तुलना में
करीब 80.14 प्रतिशत अधिक है। मध्य प्रदेश के नीमच निवासी
सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत यह जानकारी
हासिल हुई। उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय
उत्पाद शुल्क घटाने को लेकर सरकार भले ही फिलहाल कोई निर्णय लेने की स्थिति में
नहीं है।
वहीं इसके चलते पेट्रोलियम पदाथरें पर इस अप्रत्यक्ष कर की वसूली में इजाफे से सरकारी खजाना भरता जा रहा है। नई दिल्ली स्थित केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क विभाग के आंकड़ा प्रबंधन निदेशालय की ओर से आरटीआई के तहत गौड़ को एक जून को भेजे गए जवाब में बताया गया कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में पेट्रोलियम पदार्थो पर 1,10,354 करोड़ रुपए का उत्पाद शुल्क वसूला था। आरटीआई के तहत मिले पिछले 5 सालों के सरकारी आंकडो पर नजर डालें, तो पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2011-12 के मुकाबले में वित्तीय वर्ष 2015-16 में पेट्रोलियम पदाथरें पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क का राजस्व संग्रह 166.12 प्रतिशत बढ चुका है। वित्तीय वर्ष 2011-12 में पेट्रोलियम पदार्थो पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली से सरकारी खजाने में 74,701 करोड़ रुपए जमा हुए थे। इसके बाद से इस अप्रत्यक्ष कर के राजस्व में लगातार बढोत्तरी हो रही है।
वहीं इसके चलते पेट्रोलियम पदाथरें पर इस अप्रत्यक्ष कर की वसूली में इजाफे से सरकारी खजाना भरता जा रहा है। नई दिल्ली स्थित केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क विभाग के आंकड़ा प्रबंधन निदेशालय की ओर से आरटीआई के तहत गौड़ को एक जून को भेजे गए जवाब में बताया गया कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में पेट्रोलियम पदार्थो पर 1,10,354 करोड़ रुपए का उत्पाद शुल्क वसूला था। आरटीआई के तहत मिले पिछले 5 सालों के सरकारी आंकडो पर नजर डालें, तो पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2011-12 के मुकाबले में वित्तीय वर्ष 2015-16 में पेट्रोलियम पदाथरें पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क का राजस्व संग्रह 166.12 प्रतिशत बढ चुका है। वित्तीय वर्ष 2011-12 में पेट्रोलियम पदार्थो पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली से सरकारी खजाने में 74,701 करोड़ रुपए जमा हुए थे। इसके बाद से इस अप्रत्यक्ष कर के राजस्व में लगातार बढोत्तरी हो रही है।

