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- ऑटोमोबाइल एवं कल-पुर्जो के विनिर्माण में कच्ची सामग्रियों पर भारत का खर्च काफी अधिक है..........
Posted by : achhiduniya
03 June 2016
उद्योग
संगठन ने कहा कि चीन, इंडोनेशिया एवं सिंगापुर की तुलना में
ऑटोमोबाइल एवं कल-पुर्जो के विनिर्माण में कच्ची सामग्रियों पर भारत का खर्च काफी
अधिक है। जहां ये देश कच्ची सामग्रियों पर कुल आउटपुट का क्रमश: 29 प्रतिशत, 23 प्रतिशत और 57 प्रतिशत
खर्च करते हैं, भारत में यह 69 प्रतिशत
है। घरेलू बाजार में श्रम का खर्च भी बांग्लादेश, इंडोनेशिया
एवं चीन से अधिक है। कामगारों के वेतन एवं उनके अन्य लाभ पर कुल आउटपुट का 13.13
प्रतिशत खर्च करने वाला सिंगापुर ही इसमें भारत से पिछड़ा है। भारत में इसपर 8.29 फीसदी
खर्च किया जाता है जबकि बांग्लादेश मे यह 1.87 प्रतिशत,
इंडोनेशिया में 4.46 प्रतिशत और चीन में करीब
सात प्रतिशत है। ऑटोमोबाइल एवं कल-पूर्जा उद्योग में लागत प्रतिस्पर्धा के मामले
में भारतीय बाजार चीन, सिंगापुर, इंडोनेशिया
और यहां तक
कि बांग्लादेश से भी पिछड़ गया है।
उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम तथा शोध एवं सलाह देने वाली कंपनी थॉट आर्बिटरेज के संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन के अनुसार उद्योग जगत के चार मानक कच्ची सामग्री की लागत, श्रम, ईंधन का खर्च एवं किराया के आधार पर भारत काफी पिछड़ा हुआ है। 1990 के दशक से लगातार बढ रहे तथा विश्व के सबसे बड़े उत्पादक चीन की तुलना में भारती बाजार काफी पिछड़ा है। एसोचैम ने कहा कि चीन में ऑटोमोबाइल उद्योग का विकास मुख्यत: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के जरिए हुआ है जो संयुक्त उपक्रमों के माध्यम से आया है। अधिकांश चीन निर्मित कारें उसके घरेलू बाजार में ही इस्तेमाल हो जाती हैं। वह मुख्यत: हल्के ट्रकों तथा ऑटो पार्ट्स का निर्यात करता है।
एसोचैम के अनुसार ईंधन पर बांग्लादेश अपनी कुल बिक्री का 0.18 प्रतिशत खर्च करता है। वहीं, चीन 1.22 प्रतिशत खर्च करता है। भारत इस मामले में 1.99 प्रतिशत खर्च करता है जो अपेक्षाकृत अधिक है। ईंधन पर भारत से अधिक सिर्फ इंडोनशिया ही 2.03 प्रतिशत व्यय करता है। एसोचैम ने कहा कि यदि मेक इन इंडिया के जरिए एफडीआई आ गई तब भी हमें सभी मानकों में उत्पादन का खर्च घटाने की कोशिश करनी होगी। खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक मांग कम हो गई है।
उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम तथा शोध एवं सलाह देने वाली कंपनी थॉट आर्बिटरेज के संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन के अनुसार उद्योग जगत के चार मानक कच्ची सामग्री की लागत, श्रम, ईंधन का खर्च एवं किराया के आधार पर भारत काफी पिछड़ा हुआ है। 1990 के दशक से लगातार बढ रहे तथा विश्व के सबसे बड़े उत्पादक चीन की तुलना में भारती बाजार काफी पिछड़ा है। एसोचैम ने कहा कि चीन में ऑटोमोबाइल उद्योग का विकास मुख्यत: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के जरिए हुआ है जो संयुक्त उपक्रमों के माध्यम से आया है। अधिकांश चीन निर्मित कारें उसके घरेलू बाजार में ही इस्तेमाल हो जाती हैं। वह मुख्यत: हल्के ट्रकों तथा ऑटो पार्ट्स का निर्यात करता है।
एसोचैम के अनुसार ईंधन पर बांग्लादेश अपनी कुल बिक्री का 0.18 प्रतिशत खर्च करता है। वहीं, चीन 1.22 प्रतिशत खर्च करता है। भारत इस मामले में 1.99 प्रतिशत खर्च करता है जो अपेक्षाकृत अधिक है। ईंधन पर भारत से अधिक सिर्फ इंडोनशिया ही 2.03 प्रतिशत व्यय करता है। एसोचैम ने कहा कि यदि मेक इन इंडिया के जरिए एफडीआई आ गई तब भी हमें सभी मानकों में उत्पादन का खर्च घटाने की कोशिश करनी होगी। खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक मांग कम हो गई है।


