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- मोबाइल कंपनी मुफ्त बीमा कवर व चोरी के जोखिम का क्लेम देने से मुकर जाए तो?......
Posted by : achhiduniya
22 June 2016
आज
मार्केट मे महंगे से महंगे मोबाइल है जिसका बीमा करने का वादा कंपनी द्वारा
उपभोगता यानी ग्राहको से किया जाता है। लेकिन ऐसे मे सवाल यह पैदा होता है की
कंपनी के मुकर जाने पर क्या किया जाए.....?आइए इस पर
बारीकी से नजर डालते है। जब भी [आप]उपभोक्ता कोई बीमा पॉलिसी लेता है, अगर बीमा कंपनी अपनी शर्तो से मुकरती है या क्लेम देने में आना कानी करती
है तो वह उपभोक्ता फोरम में उस बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत कर सकता है। ऐसे ही एक मामले में एक उपभोक्ता ने नोकिया कंपनी का
मोबाइल 6500/- रुपए देकर अपनी बेटी के लिए खरीदा। मोबाइल पर
एक वर्ष के लिए मुफ्त बीमा कवर चोरी के जोखिम से बचाने के लिए उपलब्ध था। एक वर्ष
की अवधि में मोबाइल चोरी हो गया। उपभोक्ता ने इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट
लिखवाई। मुआवजे की मांग भी उसने बीमा कंपनी से की कि मोबाइल की कीमत वापिस की जाए।
आश्चर्यजनक रूप से बीमा कंपनी ने मुआवजे की मांग को रद्द कर दिया। इस आधार पर कि
पॉलिसी में वर्णित शर्ते एवं परिस्थितियों के अनुसार चोरी के समय वास्तविक या धमकी
का जोर नहीं था।
अत: उपभोक्ता ने अपनी परेशानी के निदान के लिए उपभोक्ता फोरम में परिवाद स्थापित किया। जिला और राज्य आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय देते हुए बीमा कंपनी को मोबाइल का मूल्य वापिस करने और वाद व्यय तथा क्षतिपूर्ति देने का आदेश किया। अत: बीमा कंपनी ने पुनरीक्षण याचिका राष्ट्रीय आयोग में दायर की। राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि बीमा रेगुलेटरी और विकास अथॉरिटी रेगुलेशन 2002 के अनुसार पॉलिसी की शर्तो के बारे में बीमित को कंपनी या उसके एजेंट द्वारा पूर्ण जानकारी दी जानी चाहिए। आयोग ने यह भी कहा कि शर्तें जो पॉलिसी के पृष्ठ पर वर्णित होती हैं वे बहुत ही छोटे प्रिंट में छपी होती हैं जिनको पढ़ने के लिए लेंस की आवश्यकता होती है। अत: हर कोई इन्हें पढ़ता नहीं है। अत: राष्ट्रीय आयोग ने बीमा कंपनी को मोबाइल की कीमत जो कि 6500/- इसके साथ वाद व्यय 1000/- और क्षतिपूर्ति के लिए 1000/- देने का आदेश दिया। मित्र डॉ. शीतल कपूर [उपभोक्ता मामलों की जानकार] के द्वारा अच्छी दुनिया की तरह से जनहित मे आप सभी मित्रो के लिए।
अत: उपभोक्ता ने अपनी परेशानी के निदान के लिए उपभोक्ता फोरम में परिवाद स्थापित किया। जिला और राज्य आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय देते हुए बीमा कंपनी को मोबाइल का मूल्य वापिस करने और वाद व्यय तथा क्षतिपूर्ति देने का आदेश किया। अत: बीमा कंपनी ने पुनरीक्षण याचिका राष्ट्रीय आयोग में दायर की। राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि बीमा रेगुलेटरी और विकास अथॉरिटी रेगुलेशन 2002 के अनुसार पॉलिसी की शर्तो के बारे में बीमित को कंपनी या उसके एजेंट द्वारा पूर्ण जानकारी दी जानी चाहिए। आयोग ने यह भी कहा कि शर्तें जो पॉलिसी के पृष्ठ पर वर्णित होती हैं वे बहुत ही छोटे प्रिंट में छपी होती हैं जिनको पढ़ने के लिए लेंस की आवश्यकता होती है। अत: हर कोई इन्हें पढ़ता नहीं है। अत: राष्ट्रीय आयोग ने बीमा कंपनी को मोबाइल की कीमत जो कि 6500/- इसके साथ वाद व्यय 1000/- और क्षतिपूर्ति के लिए 1000/- देने का आदेश दिया। मित्र डॉ. शीतल कपूर [उपभोक्ता मामलों की जानकार] के द्वारा अच्छी दुनिया की तरह से जनहित मे आप सभी मित्रो के लिए।