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- कुर्बानी का मतलब बलिदान करना......किसी और की कुर्बानी [जान] लेने से कैसा सवाब कैसा पुण्य....? इरफान खान
कुर्बानी का मतलब बलिदान करना......किसी और की कुर्बानी [जान] लेने से कैसा सवाब कैसा पुण्य....? इरफान खान
Posted by : achhiduniya
01 July 2016
बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान अपनी आने वाली
फिल्म 'मदारी'
के प्रमोशन के लिए जयपुर पहुंचे हुए थे। इरफान ने कहा, जो फतवा देने वाले लोग हैं। उन लोगों को इस्लाम के नाम को बदनाम करने
वालों के खिलाफ फतवा देना चाहिए। उनके खिलाफ देना चाहिए जो आतंकवाद की दुकान चला
रहे हैं, जिन्होंने आतंकवाद के बिजनेस खोल रखे हैं। मेरा
सौभाग्य है कि मैं किसी ऐसे देश में नहीं रहता जहां धार्मिक कानून चलता है। मुझे
इस पर गर्व है।पत्रकारों से बातचीत के दौरान इरफान ने कहा जितने भी रीति-रिवाज,
त्यौहार हैं, हम उनका असल मतलब भूल गए हैं,
हमने उनका तमाशा बना दिया है।कुर्बानी एक अहम त्यौहार है।कुर्बानी
का मतलब बलिदान करना है।
किसी दूसरे की जान कुर्बान करके मैं और आप भला क्या बलिदान कर रहे हैं? इरफान ने कहा जिस वक्त यह प्रथा चालू हुई होगी, उस वक्त भेड़-बकरे भोजन के मुख्य स्रोत थे। तमाम लोग थे जिन्हें खाने को नहीं मिलता था। उस वक्त भेड़-बकरे की कुर्बानी एक तरह से अपनी कोई अज़ीज़ चीज़ कुर्बान करना और दूसरे लोगों में बांटना था। आज के दौर में बाजार से दो बकरे खरीद कर लाए तो उसमें आपकी कुर्बानी क्या है। हर आदमी दिल से पूछे, किसी और की जान लेने से उसे कैसे सवाब मिल जाएगा, कैसे पुण्य मिलेगा। आज के दौर में बाजार से दो बकरे खरीद कर लाए तो उसमें आपकी कुर्बानी क्या है।
किसी दूसरे की जान कुर्बान करके मैं और आप भला क्या बलिदान कर रहे हैं? इरफान ने कहा जिस वक्त यह प्रथा चालू हुई होगी, उस वक्त भेड़-बकरे भोजन के मुख्य स्रोत थे। तमाम लोग थे जिन्हें खाने को नहीं मिलता था। उस वक्त भेड़-बकरे की कुर्बानी एक तरह से अपनी कोई अज़ीज़ चीज़ कुर्बान करना और दूसरे लोगों में बांटना था। आज के दौर में बाजार से दो बकरे खरीद कर लाए तो उसमें आपकी कुर्बानी क्या है। हर आदमी दिल से पूछे, किसी और की जान लेने से उसे कैसे सवाब मिल जाएगा, कैसे पुण्य मिलेगा। आज के दौर में बाजार से दो बकरे खरीद कर लाए तो उसमें आपकी कुर्बानी क्या है।