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- मां बनने के लिए मांगे मरे हुए पति के शुक्राणु......
Posted by : achhiduniya
16 July 2016
बीते कुछ समय पहले एक महिला के पति की एम्स
मे अस्पताल लाने के दौरान मौत हो गई। दोनों की शादी कुछ साल पहले हुई थी। मगर उनकी
कोई संतान नहीं थी।विधवा ने डॉक्टर्स से कहा मुझे मेरे मरे हुए पति का स्पर्म
चाहिए। महिला ने विनती की है कि वे उसके मरे हुए पति का शुक्राणु उसे दे दें ताकि
वह मां बन सके।डॉक्टर्स के अनुसार मृत व्यक्ति के माता-पिता ने भी विधवा के अनुरोध
का समर्थन किया है। भारत में पोस्टमार्टम स्पर्म रीट्राइवल (PMSR)को लेकर कोई स्पष्ट दिशा
निर्देश नहीं है, इसलिए इस अनुरोध को अस्वीकार किया जा सकता
है। ह्यूमेन प्रोडक्टिव सांइसेज के जर्नल के ताजा अंक में छपे एक लेख में इस मामले
का हवाला देते हुए एम्स के डॉक्टरों ने PMSR को लेकर
स्पष्टता की मांग की है, ताकि भविष्य में इस तरह के कठिन
परिस्थितियों से बचा जा सके। डॉक्टरों का तर्क है कि अब समय आ गया है PMSR को लेकर स्पष्टता दिशा निर्देश के बारे में सोचा जाए, ताकि मरने के बाद शुक्राणु का इस्तेमाल बेहतर तरीके से परिवार और समाज की
भलाई के लिए किया जा सके।
एम्स में फॉरेंसिक साइंसेज डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉक्टर सुधीर गुप्ता के अनुसार मौत के बाद 24 घंटे तक शुक्राणु जीवित रहते हैं और स्पर्म रीट्राइवल एक सरल प्रकिया है और इसे पांच मिनट में पूरा किया जा सकता है, लेकिन इसमें नैतिक और कानूनी दखल हैं। असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेकनॉलजी क्लीनिक के तहत भारत में एक मरे हुए पति के सिमेन के साथ एक औरत के गर्भाधान की अनुमति है। लेकिन शुक्राणु उस वक्त एकत्र किया जाना चाहिए, जब पति जीवित और चेतन की अवस्था में हो इसराइल में ऐसी अनुमति है। वहां पति के मर जाने के बाद पत्नी के अनुरोध पर शुक्राणु को तुरंत संरक्षित किया जाता है। लेकिन एक साल के भीतर ही पत्नी के लिए उसका इस्तेमाल करना लाजमी है। अगर एक साल के भीतर पत्नी की मौत हो जाती है तो उसके पति के शुक्राणु को इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता है।मेडिकल एथिक्स इंडियन जर्नल में 2006 में एक लेख में वरिष्ट फोरेंसिक विशेषज्ञ राजेश वी बरदाले और पी जी दीक्षित ने PRSM के लिए मांग में वृद्धि होने की संभावनाओं की चर्चा की थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि इस पर कोई भी फैसला करने से पहले विस्तार से सोचना पड़ेगा। क्योंकी विकसित देशों की तुलना में भारत में स्थिति अधिक जटिल है।उन्होंने यह भी कहा कि पति के मौत के तुरंत बाद एक विधवा के ऐसे निर्णय करना एक मुश्किल भरा काम है। परिवार के दबाव से स्थिति और जटिल हो सकती।
एम्स में फॉरेंसिक साइंसेज डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉक्टर सुधीर गुप्ता के अनुसार मौत के बाद 24 घंटे तक शुक्राणु जीवित रहते हैं और स्पर्म रीट्राइवल एक सरल प्रकिया है और इसे पांच मिनट में पूरा किया जा सकता है, लेकिन इसमें नैतिक और कानूनी दखल हैं। असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेकनॉलजी क्लीनिक के तहत भारत में एक मरे हुए पति के सिमेन के साथ एक औरत के गर्भाधान की अनुमति है। लेकिन शुक्राणु उस वक्त एकत्र किया जाना चाहिए, जब पति जीवित और चेतन की अवस्था में हो इसराइल में ऐसी अनुमति है। वहां पति के मर जाने के बाद पत्नी के अनुरोध पर शुक्राणु को तुरंत संरक्षित किया जाता है। लेकिन एक साल के भीतर ही पत्नी के लिए उसका इस्तेमाल करना लाजमी है। अगर एक साल के भीतर पत्नी की मौत हो जाती है तो उसके पति के शुक्राणु को इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता है।मेडिकल एथिक्स इंडियन जर्नल में 2006 में एक लेख में वरिष्ट फोरेंसिक विशेषज्ञ राजेश वी बरदाले और पी जी दीक्षित ने PRSM के लिए मांग में वृद्धि होने की संभावनाओं की चर्चा की थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि इस पर कोई भी फैसला करने से पहले विस्तार से सोचना पड़ेगा। क्योंकी विकसित देशों की तुलना में भारत में स्थिति अधिक जटिल है।उन्होंने यह भी कहा कि पति के मौत के तुरंत बाद एक विधवा के ऐसे निर्णय करना एक मुश्किल भरा काम है। परिवार के दबाव से स्थिति और जटिल हो सकती।

