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- हाथी मेरे साथी [महावत] पहनेगा जूता....
Posted by : achhiduniya
02 August 2016
नालंदा जिले में जूते का काम करने वाले कारीगर पिछले
21
दिनों से जूते बनाने में जुटे हुए हैं। जूते को बनवाने वाले हैं गया
के महावत अख्तर इमाम। अख्तर इमाम का कहना है कि मैं हाथियों की सेवा करना चाहता हूं।
आम इंसान नंगे पैर चलते हैं तो उन्हें कितनी तकलीफ होती है। इसी तरह बेजुबान हाथी को
भी नंगे पैर चलने में दर्द होता है। उनका कहना था कि शुरू से ही उन्हें हाथियों से
प्यार है। 12 साल की उम्र से वे अपने पास हाथी रखते हैं। उन्होंने बताया कि वह चाहते हैं
कि लोग भी बेजुबान जानवरों को प्यार करें, ताकि आगे की पीढ़ी भी
इस परंपरा को निभा सके। नालंदा के मोरातालाब में निर्मित जूते गजराज के पैरों की शोभा
बढ़ाएंगे। मोरातालाब के कारीगर को जब गया के अख्तर इमाम ने हाथी का जूता बनाने के लिए
कहा तो कारीगर भी भौंचक रह गए। पहले उन्हें लगा कि मजाक कर रहे हैं। लेकिन महावत के
जोर देने के बाद कारीगर जूता बनाने के लिए तैयार हो गए हैं।
ये कारीगर बकायदा गजराज के जूते का नाप लेने के लिए गया शहर गए और वहां गजराज के पैरों का नाप लिया और फिर अपने काम में जुट गए। नालंदा के चार कारीगर पिछले 20 दिनों से दिन-रात मेहनत कर जूते बनाने का काम कर रहे हैं। अब यह लगभग बनकर तैयार हो गया है। जूता बनाने में करीब 12 हजार रुपए की लागत आई है। कारीगर अनिरुद्ध रविदास का कहना है कि पहले यह ऑफर मजाक के रूप में लगा, लेकिन महावत अख्तर के कहने पर वे तैयार हो गए। उनका कहना है कि बनने के बाद जूता काफी खूबसूरत लग रहा है। उम्मीद है इससे बेजुबान जानवरों को फायदा होगा।
ये कारीगर बकायदा गजराज के जूते का नाप लेने के लिए गया शहर गए और वहां गजराज के पैरों का नाप लिया और फिर अपने काम में जुट गए। नालंदा के चार कारीगर पिछले 20 दिनों से दिन-रात मेहनत कर जूते बनाने का काम कर रहे हैं। अब यह लगभग बनकर तैयार हो गया है। जूता बनाने में करीब 12 हजार रुपए की लागत आई है। कारीगर अनिरुद्ध रविदास का कहना है कि पहले यह ऑफर मजाक के रूप में लगा, लेकिन महावत अख्तर के कहने पर वे तैयार हो गए। उनका कहना है कि बनने के बाद जूता काफी खूबसूरत लग रहा है। उम्मीद है इससे बेजुबान जानवरों को फायदा होगा।