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- मरीजों को बिल नहीं देने वाले प्राइवेट कन्सल्टेन्सी डॉक्टरों पर गिरेगी गाज...
Posted by : achhiduniya
23 October 2017
देश मे आज भी काले धनकुबेरो के अलावा कर चोरी करने वालो
की कमी नही उसी कड़ी मे एक और पेशे का जुड़ जाना अपने आपमे बड़े शर्म की बात है। आयकर
विभाग दवा कंपनियों और डॉक्टर के बीच कमीशनबाजी पर नकेल कसने की तैयारी में है।
दवा कंपनियां डॉक्टरों को भारी कमीशन देकर अपनी दवा मरीजों को बेचती है। ऐसे में
कई बार मरीजों को डॉक्टरों द्वारा लिखी गई महंगी दवा खरीदनी पड़ती है। जबकि अन्य
कंपनी की उसी सॉल्ट की दवा आधे या एक चौथाई दाम पर बाजार में मौजूद रहती है। मरीजों
को फीस परामर्श शुल्क का बिल नहीं देने वाले निजी डॉक्टरों की अब खैर नहीं।
आयकर विभाग ने ऐसे डॉक्टरों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। विभाग ने राज्यों से डॉक्टरों का ब्योरा मांगा है। सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग ने हाल में एक बैठक कर सभी राज्यों से बिल नहीं देने वाले डॉक्टरों की विस्तृत जानकारी मांगी है। इस बैठक में केंद्रीय वित्तीय खुफिया विभाग, प्रवर्तन निदेशालय, एसएफआईओ और राज्यों के वित्त अधिकारी मौजूद थे। आयकर विभाग का मानना है कि मरीजों को बिल नहीं देने वाले ज्यादातर निजी चिकित्सक सालाना आय की सही घोषणा नहीं करते और टैक्स की चोरी करते हैं। परामर्श सेवाओं को जीएसटी दायरे से भी बाहर रखा गया है। विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, इनमें निजी क्लिनिक, निजी अस्पताल में सेवाएं देने वाले और पैथोलॉजी जांच केंद्र चलाने वाले चिकित्सक शामिल हैं।
निजी अस्पतालों और पैथोलॉजी में मरीजों को बिल मिलता है, जबकि क्लीनिक चलाने वाले अधिकतर बिल ही नहीं देते। इसके मद्देनजर राज्यों से सूचनाएं जुटाई जा रही हैं जिसके बाद सख्त कदम उठाए जाएंगे। आयकर कानून के तहत कर चोरी करने वालों के खिलाफ आयकर विभाग पुख्ता सबूत जुटाने के बाद कार्यवाही शुरू कर सकता है। कर चोरी दंडनीय अपराध है और इसमें 3 माह से लेकर 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। कालाधन कानून के तहत कर चोरी करने वालों पर 90 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
आयकर विभाग ने ऐसे डॉक्टरों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। विभाग ने राज्यों से डॉक्टरों का ब्योरा मांगा है। सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग ने हाल में एक बैठक कर सभी राज्यों से बिल नहीं देने वाले डॉक्टरों की विस्तृत जानकारी मांगी है। इस बैठक में केंद्रीय वित्तीय खुफिया विभाग, प्रवर्तन निदेशालय, एसएफआईओ और राज्यों के वित्त अधिकारी मौजूद थे। आयकर विभाग का मानना है कि मरीजों को बिल नहीं देने वाले ज्यादातर निजी चिकित्सक सालाना आय की सही घोषणा नहीं करते और टैक्स की चोरी करते हैं। परामर्श सेवाओं को जीएसटी दायरे से भी बाहर रखा गया है। विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, इनमें निजी क्लिनिक, निजी अस्पताल में सेवाएं देने वाले और पैथोलॉजी जांच केंद्र चलाने वाले चिकित्सक शामिल हैं।
निजी अस्पतालों और पैथोलॉजी में मरीजों को बिल मिलता है, जबकि क्लीनिक चलाने वाले अधिकतर बिल ही नहीं देते। इसके मद्देनजर राज्यों से सूचनाएं जुटाई जा रही हैं जिसके बाद सख्त कदम उठाए जाएंगे। आयकर कानून के तहत कर चोरी करने वालों के खिलाफ आयकर विभाग पुख्ता सबूत जुटाने के बाद कार्यवाही शुरू कर सकता है। कर चोरी दंडनीय अपराध है और इसमें 3 माह से लेकर 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। कालाधन कानून के तहत कर चोरी करने वालों पर 90 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है।