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- सेना बनाम सरकार की लड़ाई मे पाकिस्तान कंगाल होने की कगार पर......
Posted by : achhiduniya
30 May 2018
पाकिस्तान में जुलाई महीने में आम चुनाव होने वाले हैं और चुनाव के बाद पाकिस्तान आईएमएफ़ की शरण में भी जा सकता है। इससे पहले पाकिस्तान ने 2013 में आईएमएफ़ का दरवाज़ा खटखटाया था। पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार डॉन का कहना है कि पाकिस्तान भुगतान संकट से निपटने के लिए एक बार फिर चीन की शरण में जा रहा है और एक से दो अरब डॉलर का क़र्ज़ ले सकता है। पाकिस्तानी मुद्रा अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपना मूल्य लगातार खो रही है। एक अमरीकी डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपए की क़ीमत 120 रुपए तक चली गई। इसके साथ ही पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार हो रही कमी से भी जूझ रहा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ महीनों से भारी संकट में जाती दिख रही है, लेकिन वहां की राजनीति में सेना बनाम सरकार की लड़ाई थम नहीं रही है।
पाकिस्तान में आय कर देने वालों की संख्या भी काफ़ी सीमित है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार 2007 में पाकिस्तान में आय कर भरने वालों की संख्या महज 21 लाख थी जो 2017 में घटकर 12 लाख 60 हज़ार हो गई। कहा जा रहा है कि इस साल इस संख्या में और कमी आएगी। फ़ाइनैंशल टाइम्स का कहना है कि पाकिस्तान के पास जितानी विदेशी मुद्रा है वो 10 हफ्तों की आयात के ही बराबर है। फ़ाइनैंशल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार विदेशों में नौकरी कर रहे पाकिस्तानी देश में जो पैसे भेजते थे उसमें गिरावट आई है। इसके साथ ही पाकिस्तान का आयात बढ़ा है और चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर में लगी कंपनियों को भारी भुगतान के कारण भी विदेशी मुद्रा भंडार ख़ाली हो रहा है।
चाइना पाकिस्तान कॉरिडोर 60 अरब डॉलर की महत्वाकांक्षी परियोजना है। विश्व बैंक ने अक्तूबर महीने में पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि उसे क़र्ज़ भुगतान और करेंट अकाउंट घाटे को पाटने के लिए इस साल 17 अरब डॉलर की ज़रूरत पड़ेगी। पाकिस्तान का तर्क था कि विदेशों में बसे अमीर पाकिस्तानियों को अगर अच्छे लाभ का लालच दिया जाए तो वो अपने देश की मदद कर सकते हैं। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के एक अधिकारी ने फाइनैंशल टाइम्स से कहा था कि अगर प्रवासी पाकिस्तानियों को अच्छे लाभ का ऑफर दिया जाएगा तो देश में पैसे भेजेंगे। पाकिस्तान के पास अब 10.3 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है, जो पिछले साल मई में 16.4 अरब डॉलर था।