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- बच्चो से पहले माँ- बाप अपने आप को सुधारे....
Posted by : achhiduniya
31 May 2018
बच्चे पढ़े-लिखें और माँ-बाप का नाम रोशन करें यह हर
माँ-बाप की इच्छा होती है। उनमें वह तमाम आदतें हों जो एक आदर्श बच्चे में होती
हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं
कि अपने बच्चे को आदर्श बनाने के लिए आपको भी उतनी ही मेहनत करने की दरकार है,जितनी की आपके बच्चे को। आज हर माता-पिता की आम शिकायत है की बच्चे उनकी नही
सुनते बच्चों को अनुशासन का पालन करना सिखाएं। अनुशासन का मतलब है नियम, सिद्धान्त और आदेशों का ठीक से पालन करना है।
अनुशासन का अर्थ है, खुद को वश में रखना। अनुशासन सफलता की वजह भी बनता है इसलिए अपने बच्चों
को अनुशासित जरूर बनाएं साथ ही इस बात का भी ध्यान रखे क्या आप भी अनुशासन मे रहते
है या सिर्फ बच्चो से ही उम्मीद कटे है। अपने बच्चों के सामने चिल्लाने या फिर
बहस करने से बचें। अपने गुस्से पर नियंत्रण कर अपने बच्चे के आगे एक उदाहरण
क्रिएट करें। बच्चों की अत्यधिक मांगों को पूरा करने या फिर उन पर अधिक प्रतिबंध
लगाने से बचें। इन सब के जरिए आप अपने बच्चे को गुस्सैल होने से आसानी से बचा
सकते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों के प्रति अपने प्यार को जाहिर करें।
यह
भी जरूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों से जिम्मेदाराना उम्मीदें रखें। क्योंकि जीवन में जिम्मेदार होना बहुत जरूरी
है। परिवार में कोई ऐसी समस्या है, जिसका संबंध बच्चे से
है, तो कोई भी फैसला लेने से पहले बच्चे की सलाह जरूर लें
या फिर उस फैसले में बच्चे को भी शामिल करें। बच्चों के सुझावों के लिए खुद को
नकारात्मक करने की बजाए उनके सुझावों को गंभीरता से लें। जब भी बच्चा कुछ कहना
या पूछना चाहें, तो उन्हें रोकें या टोकें नहीं। बच्चे को
अपने मन की बात कहने दें और उसे प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन की बात को बेझिझक
होकर कह सके। इससे वह मुखर होगा और आगे अपने जीवन में खुल कर जी सकेगा।
आपकी
थोड़ी-सी कठोरता, बच्चे के जीवन के लिए लाभदायी साबित होगी।
माता पिता को चाहिए कि वह बच्चों के प्रति अपने प्यार को जाहिर करें। आप उन्हें
जितना प्यार और सहारा देंगे वे जीवन में उतने ही मुखर और आत्मविश्वासी बनेंगे। जब
भी बच्चा कुछ कहना या पूछना चाहें, तो उन्हें रोके या टोके
नहीं। बच्चे को अपने मन की बात कहने दें और उसे प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन
की बात को बेझिझक होकर कह सके। इससे वह मुखर होगा और आगे अपने जीवन में खुल कर जी
सकेगा। अपनी हर परेशानी को बच्चो के साथ शेयर न करे ना आपस मे एक दूसरे से वाद –विवाद करे।