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- वैज्ञानिकों ने बनाए कम प्रदूषण करने वाले पारंपरिक पटाखों से सस्ते और ईको-फ्रेंडली पटाखे......
Posted by : achhiduniya
30 October 2018
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के इस्तेमाल पर पूरी तरह बैन लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि क्रिसमस, न्यू ईयर पर रात 11.45 से 12.45 बजे तक पटाखे छुड़ाए जा सकेंगे। इसके अलावा दीवाली पर रात 8 से 10 बजे के बीच ही पटाखे छुड़ाने की इजाजत होगी। ऐसे में ईको-फ्रेंडली और ग्रीन पटाखों की मांग बढ़ गई थी. ऐसे में ईको-फ्रेंडली दिवाली को बढ़ावा देने के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के वैज्ञानिकों ने कम प्रदूषण करने वाले पटाखे बनाए हैं। यह पटाखे न केवल ईको-फ्रेंडली हैं बल्कि पारंपरिक पटाखों से सस्ते भी हैं। विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि CSIR के वैज्ञानिकों ने न केवल ऐसे पटाखे बनाए हैं जो ईको-फ्रेंडली हैं बल्कि उनके दाम भी पारंपरिक पटाखों से 15-20 फीसदी कम हैं। ये पटाखे तीन तरह के हैं-1. सेफ वॉटर रिलीजर (SWAS) 2. सेफ मिनिमल एल्यूमिनियम (SAFAL) 3. सेफ थर्माइट क्रैकर (STAR)।
इन पटाखों से हानिकारक धूल और धुएं की जगह भाप और हवा निकलेगी,लेकिन पटाखे के शौकीन लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इन पटाखों का विस्फोट कहीं से भी आम और पारंपरिक पटाखों से कमजोर नहीं होगा यानि मजेदार बात यह है कि ईको-फ्रेंडली होने के बावजूद इन पटाखों के फूटने पर कॉमर्शियल पटाखों की रेंज का ही धमाका होगा। जो कि 105 से 110 डेसीबल का होगा। SWAS पटाखों से पटाखों में यूज होने वाले पोटेशियम नाइट्रेट (KNO3) और सल्फर का प्रयोग कम हो जाएगा। जिससे SO2 और NOx में भी गिरावट आएगी। दूसरी ओर स्टार पटाखों से भी 35 से 40 फीसदी कमी हानिकारक पदार्थों के प्रयोग में आएगी। सफल पटाखों में बहुत कम मात्रा में एल्युमिनियम का प्रयोग होगा। सिर्फ इतना कि फूटते हुए चमक पैदा की जा सके। इससे भी कॉमर्शियल पटाखों के मुकाबले 35 से 40 फीसदी कमी पर्यावरण के लिए हानिकारण तत्वों में आएगी।