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- किसी व्यक्ति को नामर्द [नपुंसक] कहना.....आईपीसी सेक्शन 499 के तहत मानहानि की श्रेणी में.....
Posted by : achhiduniya
12 November 2018
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने किसी व्यक्ति को नपुंसक कहने को मानहानि के बराबर करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी को नपुंसक कहना उसके पौरुष पर सवाल खड़े करता है और दूसरों के मन में उसके प्रति नकारात्मक भावनाओं को पैदा करता है, ऐसे में यह मानहानि है। हाई कोर्ट ने एक पत्नी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने अपने पति को ओर से किए गए क्रिमिनल केस को खारिज करने की मांग की थी। महिला द्वारा पति पर नपुंसकता का आरोप लगाया गया था जिस पर पति ने उसके खिलाफ केस दर्ज कराया था। कोर्ट का यह फैसला उन कई पतियों को राहत देगा जिनसे तलाक लेने के लिए उनकी पत्नियों ने नपुंसकता को भी आधार बनाया है।
जस्टिस सुनील शुकरे की एकल बेंच ने अपने फैसले में कहा, प्रथम दृष्टया नपुंसक का सीधा और सादा सा अर्थ यही है कि यह किसी व्यक्ति की पौरुष क्षमता पर सवाल खड़े करता है और दूसरों के मन में उसके प्रति नकारात्मक विचार पैदा करता है। इसलिए किसी व्यक्ति के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करना और प्रकाशन करना आईपीसी 499 के तहत मानहानि की श्रेणी में आएगा और आईपीसी 500 के तहत उसे इसके लिए सजा भी हो सकती है। हाई कोर्ट पहुंचे इस कपल के बीच तलाक का केस चल रहा है। इसकी शुरुआत हुई 21 नवंबर 2016 को पत्नी के मायके चले जाने के बाद। पत्नी ने इसके बाद तलाक के लिए अर्जी दी, कोर्ट ने उनकी बेटी की कस्टडी पिता को दे दी। पत्नी ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी और पति पर आरोप लगाया कि वह नपुंसक है और शारीरिक संबंध बनाने में अक्षम है।
पत्नी के आरोपों से क्षुब्ध पति ने पत्नी और अपने ससुरालवालों के खिलाफ आईपीसी 500 (मानहानि) और आईपीसी 506 (धमकी देना) के तहत केस दर्ज कराया। इसके बाद जुडिशल मैजिस्ट्रेट (फर्स्ट क्लास) ने जांच का आदेश दिया। पत्नी और गवाहों के बयान दर्ज कराने के बाद कोर्ट ने पिछले साल 24 जुलाई को पत्नी के खिलाफ आईपीसी 500 और 506 के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया। जिसे पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। पत्नी ने कोर्ट में कहा कि वह पति की नपुंसकता को सार्वजनिक नहीं करना चाहती थी, लेकिन उसकी हरकतों की वजह से वह ऐसा करने पर मजबूर है।
पत्नी ने कहा कि मैं मजबूर हूं यह बताने में कि हमारी बेटी डॉक्टर की सलाह से मेडिकल ओवुलेशन विधि से हुई है। जस्टिस शुकरे ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पत्नी ने पति को यहां तक धमकी दी थी कि अगर उसने बातें नहीं मानीं तो वह उसके सम्मान को ठेस पहुंचाने से भी नहीं चूकेगी। जज ने कहा, पत्नी के आरोपों को पढ़ने और उसमें कुछ भी जोड़े और घटाए यह निष्कर्ष निकलता है कि ये आरोप अपमानजनक हैं और प्रथम दृष्टया पति को बदनाम करने के लिए लगाए हैं।