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- तीन दिग्गज तय करेंगे तेल की कीमत......
Posted by : achhiduniya
19 November 2018
सऊदी अरब और रूस ने मिलकर जून में ओपेक+समूह को उत्पादन कम करने
का दबाव डाला। 2017 से ही ओपेक समूह कच्चे तेल का भारी उत्पादन कर रहा था। इसके
बाद दोनों देशों ने कच्चे तेल का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर, या
रिकॉर्ड के निकट पहुंचा दिया। इसी समय अमेरिका में भी तेल का उत्पादन अप्रत्याशित
तरीके से रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। कच्चे तेल की कीमतें तय करने में अब तेल
उत्पादक देशों के समूह (ओपेक) की भूमिका खत्म हो गई है।
साल 2019 और
उसके आगे तेल की कीमत तय करने में अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, रूस
के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और सऊदी अब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की
भूमिका सर्वोपरि होगी। हालांकि यह अलग बात है कि तीनों की सोच अलग है। ओपेक जहां
साझा भूमिका को लेकर उलझन में है, वहीं दूसरी तरफ तेल की वैश्विक आपूर्ति पर अमेरिका, रूस
और सऊदी अरब का दबदबा हो गया है। तीनों मिलकर ओपेक के 15
सदस्य देशों के बराबर तेल का उत्पादन करते हैं। तीनों देश रिकॉर्ड मात्रा में तेल
का उत्पादन कर रहे हैं। हर देश अगले साल उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकता है, लेकिन
वे ऐसा नहीं करेंगे।
अधिक उत्पादन के कारण जैसे ही तेल की कीमतें गिरनी शुरू हुईं, तो
सऊदी अरब ने घोषणा कर दी कि वह अगले महीने से तेल उत्पादन में रोजाना पांच लाख
बैरल की कटौती करेगा। इस घोषणा का एक तरह से पुतिन ने समर्थन किया, तो
ट्रंप ने नाराजगी जताई। मोहम्मद
बिन सलमान को सऊदी अरब की महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए कच्चे तेल से आमद की जरूरत
है। दूसरी तरफ रूस ने अपने कच्चे तेल के उत्पादन में कोई कटौती नहीं करने का संकेत
नहीं दिया है। रूस का बजट तेल की आमद पर बेहद कम निर्भर है। पुतिन मोहम्मद बिन
सलमान से रिश्ते सुधारने के भी इच्छुक हैं।
ऐसे में वह सऊदी अरब की योजना का
समर्थन करने से भला क्यों कतराएंगे। पुतिन ने कहा भी है कि कच्चे तेल की कीमत
प्रति बैरल 70
डॉलर सही स्तर है। इस तरह,
सऊदी अरब अगर 2019 में तेल बाजार को संतुलित करने की उम्मीद करता है, तो
उसे ट्रंप की नाराजगी, पुतिन
के मतभेद और अमेरिका के बूमिंग तेल उद्योग के जोखिम का सामना करना पड़ेगा।