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- क्या चुनाव मे उपयोग होने वाली स्याही [वोटर इंक] का रहस्य जानते है आप.... ?
Posted by : achhiduniya
08 December 2018
जब भी आप चुनाव के दिन वोट डालकर निकलते है तो आप को एक विशेष
इंक यानी स्याही से चिन्हित किया जाता है
जिसे आप चाहकर भी निकाल नही सकते,लेकिन क्या आप
जानते है आखिर ऐसा क्यू होता है...? आखिर इस इंक
यानी स्याही का रहस्य क्या है आइए डालते है एक नजर इसी स्याही के बारे में एक
दिलचस्प बात यह भी है कि भारत में सिर्फ दो कंपनियां हैं जो वोटर इंक बनाती हैं।
हैदराबाद के रायडू लैब्स और मैसूर के मैसूर पेंट्स ऐंड वॉर्निश लिमिटेड। यही दोनों
कंपनियां पूरे देश को वोटिंग के लिए इंक सप्लाइ करती हैं। यहां तक कि इनकी इंक
विदेशों में भी जाती है। इन कंपनियों के परिसर में इंक बनाते वक्त स्टाफ और
अधिकारियों को छोड़कर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है।
वोटिंग में
इस्तेमाल होने वाली इंक में सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो अल्ट्रावॉइलट लाइट पड़ने पर स्किन पर ऐसा
निशान छोड़ता है, जो मिटता नहीं है। ये दोनों कंपनियां 25,000-30,000 बोतलें हर दिन बनाती हैं और इन्हें 10 बोतलें के पैक में रखा जाता है। दूसरे देशों में
भी जाती है इंक साल 2014 में हुए चुनावों में चीफ इलेक्शन कमिश्नर
ने सिल्वर नाइट्रेट की मात्रा 20-25 प्रतिशत बढ़ा
दी थी, ताकि वह लंबे समय तक लगी रहे। हैदराबाद की
कंपनी अफ्रिका के रवांडा, मोजांबीक, दक्षिण
अफ्रिका, जांबिया जैसे देशों में इंक आपूर्ति करती
है। साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर पल्स पोलियो प्रोग्राम के लिए भी
काम करती है।
वहीं, मैसूर की कंपनी यूके, मलेशिया, टर्की, डेनमार्क और पाकिस्तान समेत 28 देशों में भेजती है। अपने राज्य में नहीं कर सकते सप्लाई अकेले
तेलंगाना चुनाव में ही 56,130 बोतलें इस्तेमाल हो जाएंगी। रायडू लैब के
शशांक रायडू बताते हैं कि 10 मिलीलीटर की बोतल में 500 वोटरों को निशान लगाया जा सकता है। इनकी
एक्सपायरी 90 दिन के बाद होती है और निशान एक हफ्ते तक
बना रहता है।



