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- जल्द ही पानी को सूरज की रोशनी से किया जा सकेगा प्योरिफायर.....
Posted by : achhiduniya
02 December 2018
वैज्ञानिकों ने एक सरल तरीका खोजा है जिसकी बदालैत सूरज की
रोशनी का इस्तेमाल करते हुए पानी में मौजूद प्रदूषकों को हटाया जा सकता है। जर्मनी
में मार्टिन लूथर विश्वविद्यालय (एमएलयू) हेले विटेनबर्ग के शोधकर्मियों ने घुले
हुए प्रदूषकों को हटाने के लिए पानी में आसानी से गतिशील इलेक्ट्रॉन्स यानि
हाइड्रेटेड इलेक्ट्रॉन्स का उपयोग किया। एमएलयू में प्रफेसर मार्टिन गोएज ने बताया, ये इलेक्ट्रॉन काफी प्रतिक्रियाशील हैं और
प्रतिक्रिया के वास्ते इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। ये सख्त प्रदूषकों को भी
तोड़ने में सक्षम हैं। इसके लिए इलेक्ट्रॉन को आण्विक यौगिकों से छोड़ना पड़ता है
जहां इन्हें पूरी तरह से बंद रखा जाता है।
अब तक ऐसे इलेक्ट्रॉन को पैदा करना बहुत
जटिल और खर्चीला है। शोधकर्मियों ने एक नई प्रक्रिया विकसित की है जिसमें ऊर्जा के
एकमात्र स्रोत के रूप में ग्रीन लाइट एमिटिंग डायोड की जरूरत होती है। वांछित
प्रतिक्रिया कराने के लिए उत्प्ररेक के तौर पर विटामिन सी और धातु मिश्रण का
इस्तेमाल किया जाता है। नई प्रक्रिया की आगे जांच से पता चला कि हाइड्रेटेड
इलेक्ट्रॉन पैदा करने का यह सक्षम तरीका है और साथ ही इसके और भी उपयोग हो सकते
हैं। शोधकर्मियों ने नए तरीके का इस्तमाल प्रदूषित पानी पर किया। छोटे सैंपल में
इस विधि से पानी के प्रदूषकों को हटाने में सहायता मिली। सूरज की रोशनी वाटर
प्योरिफायर का काम कर सकती हैं। नए अध्ययन की मानें तो ऐसा संभव हो सकता है।
दूसरी खबर:- ऍकडमी ऑफ मेडिकल साइंस का परिसंवाद कार्यक्रम संपन्न ......
नागपुर: ऍकडमी ऑफ मेडिकल साइंस के तत्वधान मे संक्रमण रोग पर परिसंवाद कार्यकर्म का आयोजन रविवार के दिन होटल सेंटर पाइंट नागपुर मे किया
गया। जिसमे 250 संक्रमण रोग तज्ञ की उपस्थिती दर्ज की गई। इस परिसंवाद मे असोसिएशन ऑफ सर्जन नागपुर, असोसिएशन ऑफ फिजीशियन ऑफ इंडिया, सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन व विदर्भ असोसिएशन ऑफ मेडिसिन माइक्रो बायोलाजिस्ट विभिन्न संस्थाओ ने हिस्सा लेकर अपने विचार परिसंवाद मे सांझा किए। अपोलो हॉस्पिटल के डॉ राम गोपालकृष्नन के अनुसार जागतिक आरोग्य को प्रतिजैविक के प्रति प्रतिरोधक
उत्पन्न होने से वह बेअसर साबित हो रही है। मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल के डॉ वसंत नागवेकर ने बताया
की हॉस्पिटल मे भर्ती मरीजो मे से 7 से 10 % व्यक्तियों को त्वचा व नरम कोशिकाओ
मे संक्रमण रोग होते है। हमारी त्वचा पर सदैव अनेक प्रकार के जीव जन्तु उत्पन्न होते
है। कभी–कभी बड़े तेजी से ये संक्रमण फैलते है। जिससे जान पर भी बन आती है। मरीज को बुखार आने पर त्वचा लाल होने के साथ फुंसी और फोड़े आना जैसे लक्षण दिखाई देते है।
इस प्रकार के लक्षण
के बाद तुरंत ही मेडिसिन या फिर
जरूरत पड़ने पर सर्जरी के द्वारा ही मरीज के जान बचाई जा सकती है। मुंबई से पधारी डॉ संगीता जोशी, नारायण ह्रदयालय ने भी संक्रमण रोग पर परिसंवाद
कर विशेष जानकारी सांझा की। ऍकडमी ऑफ मेडिकल साइंस के अध्यक्ष डॉ हरीश वरभे ने विस्तृत जानकारी दी। साथ ही डॉ अमोल मेश्राम, डॉ वसंत नागवेकर,
डॉ संगीता जोशी, डॉ आश्विन तायड़े, डॉ राम गोपालकृष्नन,डॉ निखिल
बालंखे,डॉ एस एन
देशमुख,डॉ नीना नागदेव,डॉ अजय अंबाड़े,डॉ राजेश सिंघानिया आदि मान्यवर डॉक्टर उपस्थित थे।
आयोजक डॉक्टर दीपक जेसवानी
व डॉ यज्ञेश ठाकुर
और डॉ माधवी देशमुख
ने कार्यक्रम का सूत्र संचालन किया। डॉ अजय अंबाड़े ने सभी का आभार प्रदर्शन किया।



