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- जाने विश्व प्रसिद्ध सबरीमाला के भगवान अयप्पा का धार्मिक इतिहास...
Posted by : achhiduniya
08 January 2019
विश्व प्रसिद्ध सबरीमाला का मंदिर,करीब 800 साल पुराने इस मंदिर में ये मान्यता
पिछले काफी समय से चल रही थी कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए।
इसके कुछ कारण बताए गए थे। धार्मिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान भोलेनाथ
भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर मोहित हो गए थे और इसी के प्रभाव से एक बच्चे का
जन्म हुआ जिसे उन्होंने पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया। इस दौरान राजा राजशेखरा ने
उन्हें 12 सालों तक पाला। बाद में अपनी माता के लिए शेरनी का दूध लाने जंगल गए
अयप्पा ने राक्षसी महिषि का भी वध किया। भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी
हैं।
विष्णु का मोहिनी रूप देखकर भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था। उनके वीर्य को
पारद कहा गया और उनके वीर्य से ही बाद में सस्तव नामक पुत्र का जन्म का हुआ जिन्हें
दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया। शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण उनको
हरिहरपुत्र कहा जाता है। इनके अलावा भगवान अयप्पा को अयप्पन, शास्ता, मणिकांता नाम
से भी जाना जाता है। इनके दक्षिण भारत में कई मंदिर हैं उन्हीं में से एक प्रमुख
मंदिर है सबरीमाला। इसे दक्षिण का तीर्थस्थल भी कहा जाता है। अय्यप्पा के बारे में
किंवदंति है कि उनके माता-पिता ने उनकी गर्दन के चारों ओर एक घंटी बांधकर उन्हें
छोड़ दिया था।
पंडालम के राजा राजशेखर ने अय्यप्पा को पुत्र के रूप में पाला,लेकिन भगवान अय्यप्पा को ये सब अच्छा नहीं लगा और
उन्हें वैराग्य प्राप्त हुआ तो वे महल छोड़कर चले गए। कुछ पुराणों में अयप्पा
स्वामी को शास्ता का अवतार माना जाता है। भारतीय राज्य केरल में शबरीमाला में
अयप्पा स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां विश्वभर
से लोग शिव के इस पुत्र के मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास
मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रहकर यहां एक ज्योति दिखती है। इस ज्योति
के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। सबरीमाला का नाम
शबरी के नाम पर पड़ा है।
वही शबरी जिसने भगवान राम को जूठे फल खिलाए थे और राम ने
उसे नवधा-भक्ति का उपदेश दिया था। बताया जाता है कि जब-जब ये रोशनी दिखती है इसके
साथ शोर भी सुनाई देता है। भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे जलाते
हैं। मंदिर प्रबंधन के पुजारियों के मुताबिक मकर माह के पहले दिन आकाश में दिखने
वाले एक खास तारा मकर ज्योति है। कहते हैं कि अयप्पा ने शैव और वैष्णवों के बीच
एकता कायम की। उन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा किया था और सबरीमाल में उन्हें दिव्य
ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।



