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- हाथी (बसपा) ने सुनाई पंजे (कांग्रेस) को खरी-खोटी.....
Posted by : achhiduniya
01 January 2019
मध्यप्रदेश और राजस्थान में सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के
बाद बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस के सामने शर्त रख दी है। बसपा सुप्रीमो मायावती
की मांग है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान की कांग्रेस सरकार एससी/एसटी कानून 1989 व
सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण की पूर्ण बहाली की मांग को लेकर 2
अप्रैल को हुए भारत बंद के दौरान दोनों राज्यों में दर्ज मुकदमे वापस ले। बसपा
प्रमुख ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं
होता है तो पार्टी दोनों राज्यों की सरकारों को समर्थन पर दोबारा विचार करेगी।
उन्होंने कांग्रेस सरकारों को धमकी देते हुए कहा, अगर
कांग्रेस की नई सरकारों ने अविलंब उचित कार्रवाई नहीं की तो फिर बसपा को वहां की
कांग्रेस सरकारों (मध्यप्रदेश व राजस्थान) को बाहर से समर्थन देने के मामले में
पुनर्विचार करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा था कि आम जनता ने अपने दिल पर पत्थर
रखकर, न चाहते हुए भी कांग्रेस का समर्थन किया है।
मायावती
ने कहा था कि हमारी पार्टी ने यह चुनाव भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए लड़ा था,
लेकिन दुःख की बात यह है कि हमारी पार्टी अपने इस मकसद में कामयाब
नहीं हो सकी। मुझे मालूम हुआ है कि मध्यप्रदेश में अभी भी भाजपा सत्ता में आने के
लिए जोड़-तोड़ में लगी है। इसे रोकने के लिए हमारी पार्टी ने कांग्रेस की सोच और
नीतियों से सहमत ना होते हुए भी, मध्य प्रदेश में कांग्रेस
को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है। जिससे भाजपा अपने मकसद में
कामयाब ना हो सके। कांग्रेस ने बसपा प्रमुख मायावती द्वारा सीटों के बंटवारे को
लेकर रखी गई शर्त पर सफाई दी है।
कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा है कि
मायावती ने धमकी नहीं दी है। उन्होंने समझाया है कि दलितों के खिलाफ केसों को लेकर
दबाव बनाना जरूरी है। वडक्कन ने कहा है कि हम दलितों के खिलाफ पहले ही मामलों की
समीक्षा कर रहे हैं। कानूनी प्रक्रिया में समय लगता है। समस्या को सुलझा लिया
जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में जमीनी सच्चाई देखने के बाद सीटों के बंटवारे
पर अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व लेगा। यह तो घर की ही बात है।


