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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन हैकिंग के कटघरे मे तो बैलेट पेपर पर भी लगे चुके है वोट फिक्सिंग के आरोप..जाने इस सच्चाई को...
Posted by : achhiduniya
25 January 2019
लोकतांत्रिक देश की चुनाव एक मुख्य प्रक्रिया है। जिससे
आम जनता अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने प्रतिनिधी को चुन कर देश की सत्ता पर आसीन करती है। सत्ता पक्ष हो
या विपक्ष चुनाव
हारने के बाद अपनी हार का
ठीकरा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर फोड़ते है। कई बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की जगह फिर से बैलेट पेपर से
चुनाव कराने की मांग की जा रही है,ऐसे मे मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने साफ कर
दिया है की वापस उसी दौर मे लौटना संभव नही है। अगर भारत में चुनावों के इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता
है कि बैलट पेपर पर भी हैक होने के आरोप लगते रहे हैं।
इसकी हैकिंग से जुड़े केस
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी लड़े गए हैं। इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की पांचवी
जनरल रिपोर्ट (1971-72) के मुताबिक 20 मार्च, 1971 को ब्लिट्ज टेब्लॉयड के बॉम्बे (अब मुंबई)
एडिशन में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें दावा
किया गया था कि बैलेट पेपर पर केमिकल का इस्तेमाल करके चुनाव को प्रभावित किया गया
है। इतना ही नहीं अख़बार में इसकी पूरी प्रक्रिया का ब्योरा भी दिया गया था। इस
थ्योरी के हिसाब से 518 में से 200 से 250 सीटों पर चुनाव में जाने वाले कुल लोगों में से
कुछ परसेंट बैलेट पेपर को पहले से ही केमिकल का इस्तेमाल किया गया। एक न दिखाई देने वाली स्याही से उस पर पहले से
ही मुहर लगा दी गई थी। जो मुहर लगाए जाने
का दावा किया गया था, उसमें गाय और बछड़ा बना हुआ था, ये गाय और बछड़ा उस वक्त की इंदिरा गांधी की
इंडियन नेशनल कांग्रेस (आर) का चुनाव चिन्ह थे।
आरोप लगाया गया था कि 72 घंटे बाद ये न दिखने वाली स्याही दिखने लगी और
मतदाताओं ने जो असली मुहरें लगाई थीं, वे गायब हो गए।
इसके अलावा इस सारे ही मामले में रूस के शामिल होने का भी आरोप था। यह भी दावा
किया गया था कि जिन केमिकल लगे बैलेट पेपर का इस मामले में इस्तेमाल हुआ है, उसे सोवियत रूस में ही छापा और वहीं से भारत
इंपोर्ट किया गया है। इस थ्योरी को बल मिला था पश्चिम बंगाल और अलीगढ़ की कुछ
सीटों से, जहां कांग्रेस अच्छा नहीं कर रही थी,लेकिन जब 72 घंटों बाद वहां गिनती हुई, तो कांग्रेस ने बहुत अच्छा परफॉर्म किया। यह आरोप
लंबे वक्त तक सुनाई पड़ते रहे थे। खासकर भारतीय जनसंघ के बलराज मधोक जो कि दक्षिणी
दिल्ली के लोकसभा क्षेत्र से हार चुके थे, ने विजयी
कांग्रेसी नेता शशि भूषण के ऊपर बैलेट पेपर से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बैलेट पेपर के साथ छेड़छाड़ को लेकर याचिका भी दायर की
थी। ऐसे ही दूसरे भी कई आरोप देश भर में
लगे थे। मधोक ने अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा था, बड़ी संख्या में बैलेट पेपरों का रंग दूसरे बैलेट
पेपर से अलग था और एक ही जैसे निशान सारे पेपरों पर लगे हुए थे और ऐसे सारे ही
पेपर नए और ताजे लग रहे थे और हारे हुए कैंडिडेट के बैलेट पेपर से उन बैलट पेपरों
में बहुत अंतर था, जिन पर जीते हुए कैंडिडेट को वोट मिले थे। इन
आरोपों पर चुनाव आयोग ने एक मजबूत स्टैंड लेते हुए इन्हें खारिज किया था और बताया
था कि किस-किस तरह की एहतियात चुनावी प्रक्रिया के दौरान बरती जाती है, ताकि किसी भी छेड़छाड़ की कोई गुंजाइश न रहे।