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- राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक [नेशनल मेडिकल कमीशन बिल] लोकसभा में पास....
Posted by : achhiduniya
29 July 2019
नेशनल मेडिकल कमीशन बिल सरकार ने दिसंबर 2017 और उसके बाद 2018 में लाने की
कोशिश की थी, लेकिन विपक्ष और देशभर के डॉक्टरों के
विरोध को देखते हुए इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया था। लोकसभा में आज 2019 राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक (नेशनल
मेडिकल कमीशन बिल) पास हो गया। इस विधेयक
के तहत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को समाप्त कर, उसके
स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (नेशनल मेडिकल कमीशन) का गठन किया जाएगा। मेडिकल
शिक्षा को विश्व स्तरीय बनाने के मकसद से सरकार ये बिल लेकर आई है।
इस बिल को लाने
के पीछे सरकार का मकसद है देश में मेडिकल शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त और पारदर्शी
बनाना। देश में एक ऐसी चिकित्सा शिक्षा प्रणाली बनाई जाए जो विश्व स्तर की हो। प्रस्तावित
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि चिकित्सा शिक्षा के अंडर ग्रेजुएट
और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों स्तरों पर उच्च कोटि के डॉक्टर मुहैया कराया जाए। राष्ट्रीय
चिकित्सा आयोग (एनएमसी) प्रोफेशनल्स को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगा कि वे
अपने क्षेत्र के नवीनतम मेडिकल रिसर्च को अपने काम में सम्मिलित करें और ऐसे रिसर्च
में अपना योगदान करें। आयोग समय-समय पर सभी चिकित्सा संस्थानों का मूल्यांकन भी
करेगा।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग भारत के लिए एक मेडिकल रजिस्टर के रख-रखाव की
सुविधा प्रदान करेगा और मेडिकल सेवा के सभी पहलुओं में नैतिक मानदंड को लागू
करवाएगा। केंद्र सरकार एक एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी जो मेडिकल शिक्षा और ट्रेनिंग
के बारे में राज्यों को अपनी समस्याएं और सुझाव रखने का मौका देगी। ये काउंसिल
मेडिकल कमीशन को सुझाव देगी कि मेडिकल शिक्षा को कैसे सुलभ बनाया जाए। क्या बदल
जाएगा? इस कानून के आते ही पूरे भारत
के मेडिकल संस्थानों में दाखिले के लिए सिर्फ एक परीक्षा ली जाएगी। इस परीक्षा का
नाम NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम
एंट्रेस टेस्ट) रखा गया है। भारत में अबतक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल
संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया (MCI)
की ज़िम्मेदारी थी। बिल के पास होने के बाद अब MBBS पास करने के बाद प्रैक्टिस के लिए एग्जिट टेस्ट देना होगा।
अभी एग्जिट टेस्ट सिर्फ विदेश से मेडिकल पढ़कर
आने वाले छात्र देते हैं। लोकसभा में विधेयक बिल चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य
एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि एनएमसी विधेयक
संघीय स्वरूप के खिलाफ है। राज्यों को संशोधन करने का अधिकार होगा, वे एमओयू कर सकते हैं। विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस विधेयक को
संघीय भावना के खिलाफ बताया था। मंत्री के जवाब के बाद डीएमके के ए राजा ने विधेयक
को विचार और पारित होने के लिये आगे बढ़ाये जाने के खिलाफ मत विभाजन की मांग की। सदन
ने 48 के मुकाबले 260 मतों से सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसके बाद सदन
ने कुछ विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से
मंजूरी दे दी। इससे पहले कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।