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संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद तीन तलाक पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड व सरकार के बीच छिड़ी बहस....
Posted by : achhiduniya
31 July 2019
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[प्रतीकात्मक चित्र] |
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत
मुस्लिमों का एक पक्ष तीन तलाक बिल के संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद इसका
विरोध कर रहा है। इसी सिलसिले में मुस्लिम
विद्वान साजिद रशीदी ने कहा कि मुस्लिम या मुस्लिम संगठन बिल के खिलाफ नहीं थे,लेकिन इसमें कई खामियां हैं। नए कानून के तहत
मुस्लिम महिलाओं को मजिस्ट्रेट के समक्ष साबित करना होगा कि उनको तीन तलाक दिया
गया है। ये इस बिल का कमजोर पक्ष है। इसी तरह व्यक्ति के जेल जाने के बाद मजिस्ट्रेट
तय करेगा कि बच्चों के लालन-पालन का कौन जिम्मेदार होगा (चल अचल संपत्ति को देखकर)? सरकार ने लालन-पालन के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा
है। बिल में इसको आपराधिक मामला माना गया है जबकि यह सिविल मैटर है।
इसके साथ ही
कहा कि हिंदू आदमी तलाक देता है तो उसको 1 साल की सजा
का प्रावधान है,लेकिन यदि मुसलमान तलाक देगा तो उसको 3 साल की सजा होगी। एक देश में दो कानून कैसे हो
सकते हैं? उन्होंने कहा कि सरकार मुस्लिम परिवारों
को तोड़ने का प्रयास कर रही है। इस देश के अंदर मुसलमानों ने बहुत सहा है। दंगे
हुए टाडा और पोटा कानूनों को भी सहा है। हजारों मुस्लिम अभी भी जेल में हैं। उनको
इस नए बिल की वजह से भी सहना होगा लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मुसलमान बच्चे तैयार हैं इसके लिए, इस देश से न इस्लाम और न मुसलमान खत्म होगा। कोई
भी सरकार धर्म के आधार पर फैसला नहीं ले सकती है। बीजेपी मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप
क्यों कर रही है? मुस्लिम इस बिल को स्वीकार नहीं करेंगे।
बिल बनाते वक्त मुस्लिम समुदाय की राय नहीं ली गई। मुस्लिम महिलाओं को अधिक सहना
होगा। इस बीच लोकसभा के बाद राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के लिए आल इंडिया
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना केआर फिरंगी महली ने विपक्ष को जिम्मेदार
ठहराया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे दल जिम्मेदार हैं जो मत विभाजन के दौरान
सदन में उपस्थित नहीं थे। यदि ऐसे मौके पर भी आप सदन में उपस्थित नहीं रहेंगे तो
आपके सांसद होने का क्या मतलब है? आल इंडिया
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक बिल
के खिलाफ रहा है।