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- चीन ने भारतीय रेलवे पर दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया...
Posted by : achhiduniya
18 July 2020
चीनी कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एडं डिजाइन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप को कानपुर और मुगलसराय के बीच कॉरिडोर के 417 किमी लंबे हिस्से का ठेका दिया गया था। परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी डेडीकेटेड फ्रेंट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) के प्रबंध निदेशक अनुराग सचान ने बताया कि इसका कैंसिलेशन लेटर शनिवार यानी आज जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि कंपनी को 14 दिन का नोटिस देने के बाद यह निरस्तीकरण पत्र जारी किया गया है। ग्रुप को 2016 में 471 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था। अधिकारियों ने कहा कि चीनी कंपनी को इस परियोजना से बाहर निकालने का काम जनवरी 2019 में शुरू हुआ था, क्योंकि वह तय समय में काम नहीं कर पाई थी। गलवान घाटी में हुई हिंसक
झड़न
के समय तक कंपनी 20 फीसदी काम ही कर पाई थी। एजेंसी ने अप्रैल 2020 में वर्ल्ड
बैंक को टेंडर रद्द करने के फैसले की जानकारी दे दी थी। वर्ल्ड बैंक ही इस परियोजना
के लिए फंडिंग कर रहा है। सचान ने कहा कि कंपनी की धीमी गति के कारण हमारे दूसरे
कामों में बहुत देरी हो गई। हमें अब तक वर्ल्ड बैंक से NOC नहीं
मिला है, लेकिन हम ठेका रद्द कर रहे हैं। हम अपनी तरफ से इस
काम के लिए पैसे देंगे। इसी क्रम में भारतीय रेलवे ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट
कॉरिडोर के सिग्नल और दूरसंचार कार्य के लिए एक चीनी कंपनी को दिया ठेका रद कर
दिया। भारतीय रेलवे ने कहा कि काम की धीमी रफ्तार के कारण ठेका रद्द किया जा रहा
है। इसके बाद बौखलाए चीन ने भारतीय रेलवे पर दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमा दायर कर
दिया है।