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- अधिक काढ़ा पीने से हो सकते है साइड इफेक्ट जाने पूरी जानकारी...?
Posted by : achhiduniya
27 August 2020
आयुर्वेद विशेषज्ञों की माने तो काढ़े की मात्रा की निर्भरता आयुर्वेदिक शरीर के हिसाब से होती है। आयुर्वेद में शरीर को तीन तरह का माना गया है- वात, पित्त और कफ। उसके मुताबिक हमारा शरीर इन तीनों में से किसी एक प्रवृत्ति का होता है। इसका अध्ययन कर उसकी बनावट,दोष,मानसिक अवस्था और स्वभाव का पता लगाया जा सकता है। # वात:- अगर आपका शरीर वात की तरह है तो काढ़े का इस्तेमाल दिन में दो बार किया जा सकता है। वात शरीर वाले लोग अपने काढ़े में थोड़ा घी भी शामिल कर सकते हैं। जिससे शरीर के सूखापन को दूर किया जा सके। # पित्त:- पित्त शरीर वाले लोगों को काढ़ा दिन में एक बार से ज्यादा नहीं पीना चाहिए। इसके अलावा
उन्हें कभी नहीं खाली पेट काढ़े का सेवन करना चाहिए। काढ़े का सबसे अच्छा समय पित्त शरीर वाले लोगों के लिए शाम का है।# कफ:- दिन में 2-3 बार कफ शरीर वाले लोग काढ़े का सेवन कर सकते हैं। ऐसे लोगों को वायरल संबंधी बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए काढ़ा उनके लिए अमृत की तरह काम करता है। काढ़ा बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घटक शरीर में गर्मी पैदा करते हैं हो सकता है शरीर को इससे कुछ खास समस्याएं भी हों। रोजाना इस्तेमाल करने पर अगर आपको कोई लक्षण नजर आ रहा है तो
समझिए आप इसका ज्यादा मात्रा में सेवन कर रहे हैं। आपको नाक से खून बहना,पेशाब आने में दिक्कत,मुंह में फोड़ा,खट्टी डकार और बहुत ज्यादा पेट की गैस की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। काढ़ा इस्तेमाल करनेवालों को मात्रा पर ध्यान देना चाहिए। 50 मिलीलीटर से ज्यादा काढ़े का सेवन नहीं करना चाहिए। 100 मिलीलीटर पानी में काढ़ा के घटकों को उबलने के लिए छोड़ दें। इस तरह जब घटकर 50 मिलीलीटर हो जाए तो उसका सेवन किया जा सकता है।