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- शिक्षा नीति में सरकार का दखल और उसका प्रभाव कम से कम होना चाहिए....पीएम मोदी
Posted by : achhiduniya
07 September 2020
नई शिक्षा नीति 2020 के वर्चुअल सम्मेलन को
संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आज के
संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है। इस नीति में शिक्षा जगत के सैंकड़ों वर्षों का
अनुभव समाहित है। देश की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति
महत्वपूर्ण होती है। शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकायों से जुड़े होते हैं। उन्होंने
कहा कि शिक्षा नीति में सरकार का दखल और उसका प्रभाव कम से कम होना चाहिए। शिक्षा
नीति के साथ जितनी ज्यादा संख्या में छात्र-छात्राएं, शिक्षक
और अभिभावक जुड़ेंगे उसकी प्रासंगिकता उतनी ज्यादा होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति
कैसी हो? उसका स्वरूप क्या हो? इसके लिए अब देश आगे बढ़ रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर व्यापक विचार विमर्श हो रहा है। संवाद हो रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पढ़ाई लिखाई में बदलाव के साथ 21वीं सदी के भारत की सामाजिक और आर्थिक जीवन को नई दिशा देने वाली है। ये पॉलिसी आत्मनिर्भर भारत के संकल्पों और सामर्थ्य को आकार देने वाली है। पीएम नरेंद्र मोदी ने दुनिया में तेजी से बदल रही परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि आज दुनिया बड़ी तेजी से बदल
रही है और वर्तमान में शिक्षा की
चुनौतियों को स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार की शिक्षा नीति में 30 साल
के बाद व्यापक परिवर्तन किए गए हैं। आज तकनीकी का विकास गांव से गांव तक हो रहा है
और सूचनाओं का प्रभाव बढ़ रहा है। वीडियो स्ट्रीमिंग पर बेहतरीन से बेहतरीन चैनल
चलाए जा रहे हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था से सामाजिक असंतुलन
कम हो रहा है। हमारी जिम्मेदारी ये है कि हम हर विश्विदियालयों में तकनीकी व्यवस्था
को अधिक से अधिक बढ़ावा दें। जब किसी भी सिस्टम में इतने व्यापक बदलाव होते हैं,तो कुशंकाएं स्वभाविक हैं। शिक्षा मंत्रालय में संवाद लगातार जारी है। हम
सभी को मिलकर तमाम शंकाओं का समाधान करना है। सभी लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि नई
शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन के लिए 25 सितंबर से पहले राज्यों और केंद्र
शासित प्रदेशों में वर्चुअल कॉन्फ्रेंस शुरू किया जाए।