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- देशभर के मत्स्य उद्योग और मछुआरो ने लगाई पीएम मोदी से ध्यान देने की गुहार...
देश में मत्स्य उद्योग बढ़ता हुआ क्षेत्र है। 2.8 करोड़ से ज्यादा लोगों को इसमें रोजगार मिला हुआ है और इससे जुड़ी मूल्य श्रंखला में और भी बहुत से लोग रोजगार कर रहे हैं,लेकिन यह क्षेत्र निरंतर मछुआरों की मृत्यु जैसे गंभीर मुद्दे से जूझता रहता है। आज देश के मछुआरे बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाय) के तहत सरकार निर्णायक कदम उठाए। कोविड के इस दौर में यह अनिवार्य है कि मछुआरे खुले समुद्र में जाते हुए सुरक्षित महसूस करें, तभी वे देश की खाद्य सुरक्षा में
योगदान दे पाएंगे और अपनी मेहनत की कमाई अपने परिवार के कल्याण के लिए खर्च कर सकेंगे। कोविड-19 के चलते हुए लॉकडाउन ने समुद्र में मछली पकड़ने वालों पर बहुत गहरा असर किया है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, मत्स्य उद्योग को रोजाना 224 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। गुजरात में नाव मालिकों की प्रमुख संस्था ने मंगलवार को अपनी जिंदगी और आजीविका की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। संस्था ने कहा कि राज्य
और देशभर का मत्स्य उद्योग और मछुआरा समुदाय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वे सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि उन्हें समुद्र में आधुनिक डिजिटल कनेक्टिविटी नहीं मिल पाती। संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस सिलसिले में पत्र लिखा है। वेरावल के नाव मालिकों की संस्था खारवा संयुक्ता मच्छीमार बोट ऐसोसिएशन तकनीकी अमल के लिए भारतीय मछुआरों को समर्थन दे रही है। इस संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मछुआरों की चिंता निवारण के लिए उनसे सीधा हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। संस्था के मुताबिक प्रधानमंत्री के