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- वकील-समाज सेवी से राष्ट्रपति तक का सफर महामहिम रामनाथ कोविंद का जीवन परिचय...
Posted by : achhiduniya
01 October 2020
श्री रामनाथ कोविन्द जी का जन्म उत्तर प्रदेश
राज्य के कानपुर देहात जिले की डेरापुर तहसील के अंतर्गत आने वाले एक छोटे से गाँव
परौंख में हुआ। इनके पिता जी का नाम मैकू लाल तथा माता का नाम कलावती है।यह उत्तर
प्रदेश की अनुसूचित जाति में सम्मिलित (कोली) जाति से है। यह एक महत्वपूर्ण दलित
नेता है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम खानपुर
के

एलएलबी की डिग्री प्राप्त करनें के पश्चात वकालत में अपना करियर बनाया और एक योग्य वकील के रूप में कार्य किया। कोविंद जी नें दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत का अभ्यास किया। यहाँ पर इन्होने केंद्र सरकार का वकील रहते हुए कार्य किया। दिल्ली हाई कोर्ट में इनका कार्यकाल वर्ष 1977 से 1979 तक रहा,वर्ष 1980 से 1993 के दौरान केंद्रीय सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल की तरफ से इन्होने सुप्रीम कोर्ट में भी अभ्यास किया। वर्ष 1994 के अप्रैल माह में इन्हें उत्तरप्रदेश से राज्यसभा सांसद नियुक्त किया गया था। अपनी बेहतर कार्यक्षमता के आधार पर इन्होने निरंतर दो बार राज्यसभा सांसद का पद प्राप्त किया। इस प्रकार राज्यसभा
में इनका कार्यकाल 12 वर्ष अर्थात वर्ष 2006 तक का रहा। रामनाथ कोविंद जी भाजपा दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्यूरो के महामंत्री भी रहे। वह हरिद्वार में गंगा के तट पर स्थित कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए समर्पित संस्था दिव्य प्रेम सेवा मिशन के आजीवन संरक्षक भी हैं। वकील रहने के
दौरान कोविंद ने गरीब दलितों के लिए अनेको क़ानूनी लड़ाईया मुफ़्त में लड़ी। राज्यसभा सांसद पद पर कार्यरत रहने के दौरान इन्होने राज्यसभा के विशिष्ट पदों पर कार्य किया,जो इस प्रकार है-अनुसूचित जाति और जनजाति पार्लियामेंट्री कमेटी। होम अफेयर्स पार्लियामेंट्री कमेटी। पेट्रोलियम और नेचुरल गैस पर्लिंन्ट्री कमिटी। सोशल जस्टिस और एम्पोवेर्मेंट पार्लियामेंट्री कमिटी। लॉ और जस्टिस पार्लियामेंट्री कमिटी। राज्यसभा चेयरमैन। रामनाथ कोविंद जी डॉ भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट बोर्ड के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। इसके साथ-साथ कोलकाता के इंडियन इंस्टिट्यूट को मैनेजमेंट के मेम्बर ऑफ़ बोर्ड के पद पर कार्य किया| इन्होने वर्ष 2002 के अक्टूबर में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में भारत का
प्रतिनिधित्व किया था| इन्होने अनुसूचित जाति- जनजाति, अल्पसंख्यक, महिलाओं के लिए अपने कॉलेज के दिनों से ही कार्य करना आरंभ कर दिया था। अपने छात्र जीवन से ही लोक सेवा करने के कारण इन्होनें एक अलग पहचान बनायी थी। समाज में शिक्षा के विस्तार हेतु कई बड़े कदम उठाये। अपने 12 वर्ष के राज्यसभा के सांसद के रूप में कार्यरत रहते हुए इन्होने पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षित करनें पर विशेष महत्व दिया। वकालत के दौरान अनुसूचित जाति- जनजाति और महिलाओं के लिए क़ानूनी रूप से मिलने वाली कई मुफ्त सुविधाओं को पहुँचाया,इन्ही के प्रयासों से ही दिल्ली में ‘फ्री लीगल ऐड सोसाइटी’ जैसी संस्था अस्तित्व में आयी। इन्होने इनका कानपुर का पुश्तैनी मकान अपने गाँव वालों को दान कर दिया। जो अब बारातघर के रूप में प्रयोग
किया जाता है। दलित समुदाय के मध्य इनकी गहरी पैठ को देखते हुए वर्ष 2012 के उत्तरप्रदेश चुनाव में श्री राजनाथ सिंह ने उत्तरप्रदेश के दलित क्षेत्रों में पार्टी प्रचार के लिए इनकी सहायता ली थी। रामनाथ कोविन्द 20 जुलाई 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे.एस.खेहर ने इन्हें 25 जुलाई 2017 को भारत के राष्ट्रपति के पद की शपथ ग्रहण कराई। यह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य तथा बिहार राज्य के राज्यपाल के पद को सुशोभित कर चुके है। यह पेशे से एक वकील है,जिस कारण यह संविधान की अच्छी जानकारी रखते है।