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- स्विस बैंक देगा भारतीयों के काले धन की जानकारी…
Posted by : achhiduniya
12 September 2021
देश की राजनीति में हमेशा ही काले धन कुबेरो की चर्चा होती है जिस पर हर दल
आरोप प्रत्यारोप कर अपनी राजनैतिक
रोटिया सेकता है और स्विस बैंक में जमा काले धन को
भारत में लाने के लिए सत्ता पक्ष पर दबाव बनाया जाता है ,कई राजनैतिक पार्टिया चुनावो से पहले इसे लाने और काले धन कुबेरो का नाम उजागर करने का जनता से वादा करते है। वास्तव में अवैध तरीकों से अर्जित किया गया धन काला धन या ब्लैक मनी
कहलाता है। कर योग्य वह धन जिस पर कर न दिया गया हो वह भी काले धन की श्रेणी में
आता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनांस एंड पॉलिसी (NIPFP) के अनुसार काला धन वह राशि है जिस पर कर की देनदारी तो बनती है,लेकिन उसकी जानकारी कर विभाग को नहीं दी जाती है। काला धन
सरकार की आय में रुकावटें तो उत्पन्न करता ही है, साथ ही देश
के सीमित वित्तीय साधनों को अवांछित दिशाओं में मोड़ देता है। भारतीयों समेत विश्व
के कई रईसों के लिए स्विस बैंकों में काला धन छुपाना सबसे सुरकक्षित जगह होती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि स्विट्जरलैंड
में लागू कानून के हिसाब से इन बैंकों में स्थित खातों और उनके खातेदारों की
जानकारी किसी को भी सार्वजनिक नहीं की जा सकती थी। स्विजरलैंड इस महीने भारत के साथ स्वचालित सूचना विनिमय ढांचे
के तहत भारतीयों के स्विस बैंक खाते के विवरण का तीसरा सेट साझा करेगा। एक अधिकारी
ने यह जानकारी दी है। इसके अलावा स्विजरलैंड द्वारा भारतीयों की रियल स्टेट
प्रोपर्टी और उससे होने वाली आय की जानकारी भी साझा की जाएगी। इससे पहले संसद के
मानसून सत्र में वित्त मंत्री ने कांग्रेस सांसद विंसेंट पाला के एक सवाल का जवाब
देते हुए कहा था कि पनामा पेपर्स
लीक मामलों में 20,078 करोड़ रुपए लगभग के अघोषित
क्रेडिट का पता चला है, जबकि पैराडाइज पेपर्स लीक
मामलों में,
246 करोड़ रुपए लगभग के अघोषित क्रेडिट का पता
चला है। इससे पहले 20 जुलाई को वित्त राज्य मंत्री ने राज्यसभा में बताया था कि
स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय को बताया है कि स्विस बैंकों में
जमा ग्राहकों का धन जरूरी नहीं कि स्विट्जरलैंड में ही हों बल्कि उनमें विदेशी
शाखाओं में भी जमा धन के आंकड़े भी शामिल हो सकते हैं।साल 2019 के अंत में स्विस
बैंकों में भारतीयों का पैसा 6625 करोड़ रुपए था। पिछले दो सालों में इसमें गिरावट
दर्ज की गई थी,लेकिन साल
2020
में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। पिछले 13 सालों में यह सबसे बड़ा उछाल है।
हालांकि, वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि इन आंकड़ों से स्विस
बैंकों में जमा भारतीयों के कालेधन के बारे में कुछ पता नहीं चलता है। इसके साथ ही
आंकड़ों में उन भारतीयों या एनआरआई (NRI) या फिर
फर्म का उल्लेख नहीं है, जिन्होंने किसी तीसरे देश के
नाम पर धन जमा किया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को एक लिखित
उत्तर में लोकसभा को बताया था कि केंद्र सरकार के पास
पिछले 10 सालों से स्विस
बैंक में जमा काले धन का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है। उन्होंने यह भी बताया था कि
पिछले पांच सालों में काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण
अधिनियम, 2015 के तहत 107 से अधिक अभियोजन शिकायतें दर्ज की गई हैं। पंकज
चौधरी ने कहा कि इस साल 31 मई तक काला धन अधिनियम, 2015 की
धारा 10(3)/10(4) के तहत 66 मामलों में निर्धारण आदेश जारी किए गए हैं, जिसमें 8,216 करोड़ रुपए की मांग
की गई है। उन्होंने कहा था कि
एचएसबीसी मामलों में लगभग 8,465 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति को कर के अधीन लाया
गया है और 1294 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आईसीआईजे (ICIJ) मामलों में लगभग 11,010 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता चला है।