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पीएम केयर्स फंड न पब्लिक अथॉरिटी न राज्य ना ही सूचना के अधिकार {RTI} अधिनियम के दायरे में...तो क्या है...?
Posted by : achhiduniya
23 September 2021
प्रधानमंत्री कार्यालय {PMO} के हलफनामे
में कहा गया है कि यह पीएम केयर्स फंड भारत सरकार से नहीं, बल्कि
चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। इस कोष में आने वाली राशि भारत सरकार की संचित
निधि में नहीं जाती है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है पीएम केयर्स फंड को न तो
सूचना के अधिकार {RTI} अधिनियम के दायरे में पब्लिक अथॉरिटी
के रूप में लाया जा सकता है और न ही इसे राज्य के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता
है। याचिका पर प्रधानमंत्री कार्यालय में अवर सचिव प्रदीप श्रीवास्तव ने कोष को
लेकर अदालत को
जानकारी दी कि ट्रस्ट पूरी पारदर्शिता के साथ काम करता है और इसके
फंड का ऑडिट एक ऑडिटर द्वारा किया जाता है। कोष में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए
इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाता है। उन्होंने
याचिका के जवाब में कहा कि ट्रस्ट को जो भी दान मिले वो ऑनलाइन,चेक या फिर डिमांड ड्राफ्ट के जरिए मिले हैं। ट्रस्ट इस फंड के सभी खर्चों
का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर अपडेट करता है। गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट में
वकील सम्यक गंगवाल ने एक याचिका दायर कर मांग की है कि पीएम केयर्स
फंड को राज्य का घोषित किया जाए और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इसे RTI के दायरे में लाया जाए। सम्यक गंगवाल द्वारा दायर याचिका में
कहा गया है कि प्रधानमंत्री द्वारा मार्च 2020 में
कोविड -19 महामारी के मद्देनजर देश के नागरिकों को सहायता प्रदान करने के
एक बड़े उद्देश्य के लिए PM-CARES फंड का
गठन किया गया था और इसे अधिक मात्रा में दान मिला। याचिका में कहा गया है