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- सर्जरी मुक्त होगा मोतियाबिंद का उपचार,आखिर मोतियाबिंद क्यों होता है?
Posted by : achhiduniya
22 November 2021
अमेरिका की फार्मा कंपनी नेक्युटी फार्मास्युटिकल्स का कहना है, इसके जरिए काफी हद तक सर्जरी को रोका जा सकेगा। अमेरिकी फार्मा
कम्पनी नेक्युटी फार्मास्युटिकल्स का कहना है, इस इम्प्लांट
का नाम NPI-002 है। आमतौर पर आंखों में कैल्शियम का स्तर पर बढ़ने पर
मोतियाबिंद की स्थिति बनती है, यह नया इम्प्लांट इसी
कैल्शियम को बढ़ने से रोकता है। दुनियाभर के बुजुर्गों में बढ़ती मोतियाबिंद की
बीमारी को रोकने के लिए नए इम्प्लांट का ह्यूमन ट्रायल जल्द ही शुरू किया जाएगा।
कंपनी का दावा है, ह्यूमन ट्रायल
सफल होता है तो यह इम्प्लांट एक
बड़ा बदलाव ला सकता है। ह्यूमन ट्रायल में 65 साल या
इससे अधिक उम्र के 30 लोग शामिल किए जाएंगे। कंपनी
का दावा है कि मरीजों की आंख में इस इम्प्लांट को सीधे इंजेक्ट किया जाता है।
यह इम्प्लांट आंखों में धीरे-धीरे एंटीऑक्सीडेंट्स पहुंचाता रहता है। इसकी मदद
से मोतियाबिंद का असर घटता है और सर्जरी कराने की नौबत ही नहीं आती। 50 साल की उम्र के बाद शरीर में एंटीऑक्सीडेंट़्स की कमी होने
लगती है और आंखों में कैल्शियम जमा
होने लगता है। इसका सीधा असर आंखों के
प्राकृतिक लेंस पर पड़ता है। यह लेंस डैमेज होने लगता है। आंखों की पुतली पर सफेद
स्पॉट दिखाई देने लगते हैं। नतीजा, मरीज को
सब कुछ धुंधला नजर आता है। ज्यादातर मामलों में मरीज की सर्जरी की जाती है। सर्जरी
के खतरे को कम करने के लिए अमेरिकी कंपनी ने यह इम्प्लांट पेश किया है। वैज्ञानिकों
ने छर्रे की तरह दिखने वाला ऐसा इम्प्लांट तैयार किया है जो मोतियाबिंद को बढ़ने
नहीं देता।